________________
(२६) __(३१) समुद्वात-पामा० उदो० में केवली समु० वर्भके छे समु. पावे० परिहार तीन क्रमापर सुक्ष० समु० नहीं. यथा० एक केवली समुदवात । .. . (३१) क्षेत्र० च्यार संयम लोक असंख्यातमें भागमें होवे । यथा० लोकके यासंख्यात मागमें होते तया सर्व लोकमें ( केवलो समु० अपेक्षा )।
(३३) स्पर्शना-जेसे क्षत्र है वेसे स्पर्शना मो होती है परन्तु ययाख्यातापेक्षा कुच्छ स्पर्शना अधिक भो होती है।
(३४) भाव-प्रथमके च्चार संयम क्षयोपशम भावमें होते है और यथाख्यात । उपशम तया क्षायक मावमें भी होता है।
(३५) परिमाण द्वार-सामा० वर्तमानापेक्षा स्यात् मोळे स्थान न मीले भगर मीलेतों ज० १-२-३ उ. प्रत्येक हजार मीले । पूर्व तमाफ्यायापेक्षा नियम प्रत्यक हजार कोड माले ( एवं कदो० वर्तमाना पेक्षा मीले तो १.२.३ प्रत्येक सौ मीले । पूर्व पर्यायापेक्षा अगर मोठेतों न० उ. प्रत्यक सौ कोड में ले । परि. हार० वर्तमान अगर मोले? १.२.३ प्रत्येक सौ । पू पर्याय मोलेतों १-२-३ प्रत्यक हनार माले । सुक्षप. वर्तमानापेक्षा म लेतों १-२-३ उ० १६२ पीले निस्में १०८ क्षपक श्रेणि और ५४ उपशम श्रेणि चढते हुवे पूर्व पर्यायपेक्षा मोलेनों १.२.३ उ. प्रत्येक सौ मीले । यपा० वर्तमान अगर मोले तो १-१.५ उ. १६२ । पूर्व पर्यायापेक्ष. नियमा प्रत्येक सौ कोड मीले (केली कि अपेक्षा।)
(३६) अल्ला बहुत्व ।