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योकडा नम्बर ८ श्री भगवती सूत्र शतक ३१ -
. (खुलक युम्मा) 'मागेके शतकों में महायुम्मा बतलाये जावेगा। उस महायुमाकि अपेक्षा यह लघु युम्मा है।
(प्र) हे मावान ! खुलक (लघु) युम्मा कितने प्रकारके है।।
(उ) है गौतम ! लघु युम्मा चार प्रकारके है-यथा-कडयुम्मा तेउगायुम्मा दावरयुम्मा कलयुमा युम्मा ।
(१) कडयुम्पा-जीस रासीके अन्दरसे च्यार च्यार गीनने । पर शेष च्यार रूप रहे भाते हो उसे कडयुम्मा कहते है (२) शेष तीन रह जाते हो उसे. तेउगायुम्मा (३) शेष दोर रूप बढ़ जानेसे दाबर युम्मा (४) शेष एक रूप बढ़ जाने से कलयुगा युम्मा केहते है। - (०) खुलक कंडयुम्मा नारकी कांहासे आयके उत्पन्न होते है (उ) पांच संज्ञी पांच असंज्ञो तीर्यच तथा संख्याते वर्षकै संज्ञी मनुष्य एवं ११ स्यानोंसे आके उत्पन्न होते है।
(4) एक समयमें कितने जीव उत्पन्न होते है। . (उ) १-८-१२-१६ एवं च्यार च्यार अधिक गीनने यावत संख्याते असंख्याते जीव नारकिमें उत्पन्न होते है। .. (५) वह जीव कीस रीतिसे उत्पन्न होते है ? - (3) योकडा नं. ७ में लिखा माफिक यावत् अध्यवसायके निमत्त योगोंका कारणसे शीघ्रता पूर्वक अपनी रूद्धि, कर्म,