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- (३७) का श्रेणि करनेसे तीन समय लगता है। जहांपर तीन समय लागे वहां भावना सर्वत्र समझना।
(१) रत्नप्रमा नरकके पूर्वका चरमान्तसे मुक्ष्म पृथ्वीकायका अपर्याप्ता मरके, रत्नप्रभा नरकके पश्चमका चरमान्तमे सूक्ष्म पृथ्वी कायके पर्याप्तापणे उत्पन्न होनेमें १.२.३ समय रहस्तेमें लागे भावना पूर्वत। .
___ एवं रत्नप्रमा नरकका पूर्वके चरमान्तसे सुक्ष्म पृथ्वी कायको अपर्याप्त जीव मरके रत्नप्रभा के पश्चमके बादर तेउकायका पर्याप्ता अपर्याप्त वीके शेष १८ बोलपणे उत्पन्न होनेवालोंको १-२-३ समय रहस्तेमें लागे । रत्नप्रभा के पूर्वके 'चरमान्तके एक सूक्ष्म पृथ्वी कायका अपर्याप्ताका १८ स्थानों में उत्पात कही है इसी माफोक बदर ते उकायके पर्याप्ता अपर्याप्ता छोडके शेष १८ बोलोका जीव, रत्नप्रमा नरकके पश्चमके चरमान्तके १८ बोलोपणे उत्पन्न हुवे जिस्को रहस्तेमें १-२-३ समया लागे एवं बोल ३२४ हुवे ।
रत्नप्रमा नरकका पूर्वके चरमान्तसे १८ बोलोंके जीव मनुध्य लोकके बादर तेउकायके पर्याप्ता अपर्याप्तपणे उत्पन्न हो उसके ३३ बोल तथा मनुष्य लौकके बादर तेउकायके पयोता पर्याप्ता मरके रत्नप्रभाके पश्चपके चरमान्तमें १८ अठारी बोळपणे उत्पन्न हो जिसके ३६ बोल मनुष्य लोगके बादर तेउकायके पर्याप्ता अपप्ति मरके मनुष्य लौकके बादर तेउकाय पर्याप्तां अपर्याप्ता पणे उत्पन्न हुवे उसका च्यार बोल इस ७६ बोलमें रहस्ते चलते जीवोंको १-२-३ समय लागे एवं ३२४-७६ मीलाके ४०० वोल हुवे