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(४८) (५) सात कर्मो का बन्धक है किन्तु माठका नहीं। ... (६) अनुवन्ध ज० उ० एक समयका है ।
(७) स्थिति न० उत एक समय कि (रासी कि) . (८) सद्घाट–वेदनि और पाय । (९) मरण-कोइ प्रकारका नहीं है। (१०) चवन-चवन हो अन्यस्थान नहीं नाते है। शेष द्वार पूर्ववत् एवं १६ महा युम्मा पमनाना इति ३५.२ (३) अप्रथम समयका उदेशा प्रथमात् ३५-३
(४) चरम समय उदेशामें देवता नहीं अत है लेश्या तीन शेष ३२ द्वारसे शोला महायुम्मा प्रथम उ०वत् ३५-४
(५) अचरम उदेशो प्रथम उ०वत् । ३५५
(६) प्रथम प्रथम उदेशो दुरा उ०३त ३९ ६ ' (७) प्रथम अप्रपम उदेशो दुसरा उक्त ३६७
(८) प्रथम चरम उदेशो दुसरा उदेशावत ३५. ८ (९) प्रथम अचरम उ० दुमरा उ०वत ३५-९ (१०) चरम चरम उदेशो चोथा उदेशवत ३९.१० (११) चरमा चरम उदेशो दुरा उ०वत् ३९-११
इस ग्यारा उदेशोंमें १.३.५ यह तीन उदेशा सादृश है शेष आठ उदेशा साइश है। चोथा आठवा दशा उदेशे देवता सर्वत्र नहीं उपजे वास्ते लेश्या मी तीन हुवे शेषाधिकार प्रयमो दशा माफोक समझना इति इग्यारा उदेशा संयुक्त पैतीसवा शतकका प्रथम अन्तर शतक समाप्तम् । ३९-१.११