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र्याप्त नहीं है वास्ते मनुष्य लोकके बादर ते उकायके पर्याप्ता अपयताका गगनागमन ग्रहण किया हैं दुजो नारकसे सातवी नरक ash चरमान्तसे मनुष्य aौकसे गमनागमन में २-३- समय सम झना शेष भाग १ - २ - ३ समय समझना सातों नरक के ११२०० मांगा होते है ।
इस असंख्याते कोडोनकोड विस्तारवाळा लौकके दोय विभाग है (१) नाली उचापणेमें चौदा राम गोठ एकराज परि माण नीस्में बस जीव तथा स्थावर जीव है (२) स्थावरनाली जो तनाली के बाहार जहांतक भलौक नव्आवे वहांतक उसके अन्दर केवल स्थावर जीव है ।
अधोलोकके स्थावर नाली से सुक्ष्म पृथ्वी कायका अपर्याप्ता जीव मरके । उर्ध्व लोकके स्थावर नालीके सूक्ष्म पृथ्वी कायके अपर्यापणे उत्पन्न हो उसमें रहस्ते चलतोंको स्यात् ३ समया स्वात् ४ समया लागे कारण प्रथम समय स्थावर नालीसे असनालीमें आवे दुमरे समय उर्ध्व लोकमें जावे तीसरे समय उर्ध्व लोकाके स्थावर नाली में जाके उत्पन्न हुवे अगर विग्रह करे तो प्यार समब मी उग जाते है। एवं पहलेकि माफीक अधोलोककि स्थावरनालीसे १८ बोलोका जीव मरके उर्ध्व लोकके स्थावर नाली में अठारा बोलो में उत्पन्न होतों १-४ समय लगो एवं ३२४ बोल हुवा | मनुष्य लोकके बादर उ उ लोककि स्थावरनालीके १८ बोलो पणे उत्पन्न हुवे तो २ - ३ समय लागे कारण स्थावर नाली में एक दफे ही जाना पडे । एवं १८ बोलोंके जीव मनुष्य लोकके ते उकाय पणे उत्पन्न होने में पर्याप्ता अपयाप्ताके २६ बोल एवं ७२ तथा