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' जैसे एकेन्द्रियके अन्दर कुडयुम्मा कडयुम्मे उत्पन्न होते है चह एक समय १६-३२-१८-६४ एवं शोला शोला वृद्धि करतो यावत संख्याते असंख्याते अनी उत्पन्न होते है वह सत्र शोला शोलाके हिसाबसे उत्पन्न होते है इसी माफीक १६ युम्माके अझ रखा है इस्मे उपर शोला शोलाकि वृद्धि करना ।
इस शतकमें एकेन्द्रिय महायुम्मा शतकका अधिकर बतलाया है प्रत्येक गुम्मोपर बत्तोस बत्तीप्स द्वार उतारे जावेगा।
हे भगवान् कडयुम्मा कडयुम्मा एकेन्द्रिय कहांसे आके उत्पन्न होते है इसी माफीक अपने अपने द्वारके प्रथम कडयुम्मा कड्युम्मा एकेन्द्रिय सब द्वारों के साथ बोलना । * १) उत्पात-७४ स्थानोंसे आके उत्पन्न होते है ।
(२) परिमाण-१६-३२-१८ संख्या० असं ० अनन्ते ।
(३) अपहरण-प्रत्येक समय एकेक जीव निकाले तो अनन्ती सर्पिणि उत्सपिणि पूर्ण होजाय इतना जीव है।
(४) अवगाहना-ज० अंगु० असं० भाग० उ० साधिक १००० जोजन ।
- (५) बन्ध सातों कोंके बन्धवाले जीत्र बहुत और आयुष्य , कर्मके बन्ध तथा भबन्धवाले मी बहुत है। . .. (६) वेदे-आठों कर्मों के वेदनेवाला बहुत अताता तथा अपाता वेदनेवाला भी बहुत है। ___(७) उदय-आठों कर्मके उदयवाला बहुत।
(८) उदिरणा-छे कर्मोके उदिरणावाला बहुत आयुष्य और वेदनिय कौके उदिरणावा बहुत अनुदिरणावाले बहुत ।।