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(२८) (3) नहीं गौतमी नारकिकों नरकमें उत्पन्न होनेमें १-२३ समय लगता है।
(१) परमवको मायुष्य कीस कारणसे बान्धता है।
(E) अध्यवसायोंके निमित कारण हेतु.और योगोंकि प्रेरणासे जीव परमवका आयुष्य बान्धता है।
(प्र) यह जीव गतिकी प्रवृति क्यों करता है। . (उ) पूर्व भवमें जीत जीवोंने
(१) मवक्षय=मनुष्य तथा तीर्थचका मात्र (२) स्थितिक्षय=जीवन पर्यंत स्थिति
(४) आयुष्प्रक्षय=7रमवसे गति प्ररांम समयसे अगर विग्रह गति भी करी हो तो उस आयुष्यमें गोनी जाती है इस तीनोंका क्षय होनेसे जीव परमय संबंधी गतिके अन्दर प्रवृति करता है। ___(प्र) जीव नरकमें उत्पन्न होता है। वह अपने आत्म ऋद्धि ( अनुपूर्वादि ) से या पर ऋद्धि से नरकमें उप्तन्न होता है। ... (उ) स्वात्माकि ऋद्धिसे उप्तन्न होता है । एवं अपने कर्मोसे अपने प्रयोगोंसे नरकमें उत्पन्न होता है।
जेसे नरकाधिकार कहा है इसी माफीक २४ दंडक परन्तु एकेन्द्रियमें गतिके समय १-२-३-४ समझना । इति २५-८
(२) इसी माफीक मात्र सिद्धि जीवाका २५-९ (३), , अभव्य , , २९-१० (४), , सम्यग्दष्टी , २९-११ (६) , मिथ्य द्रोष्टी , २५-११ • सेवं भंते से भंते तमेवसचम् ।