________________
मानगो है निस्म बनास्पतिक ६ भेद माना है यहां पर सक्षम बादरले पर्याप्ता अपर्याप्त एवं च्यार माता है. वास्ते १६ स्थाना
और मनुष्यके तीन भेद है कर्मभूमि मनुष्यका पर्याप्ता अपर्याप्त और समुन्सम एवं १९ स्थानका जीव मरके शालीक मूलमे भासते है।
: (१) परिमाण द्वार-एक समयमें कितने भीक उसन्न होसक्ते है। एक दोय तीन यावत संख्याते असंख्याते।
(१) अपहरन द्वार-एक समय उत्कृष्ट असंख्याते जीव उत्पन्न होते है उस जीवोंको प्रत्यक समय एकेक जीव निकाला जावेतों कितना काल लागे. उस्कों असंख्याती सर्पिणी उत्सर्पिणी जीतना काल लागे।
(१) अवगाहना द्वार-ज० अंगुलके असंख्यातमे माग० उत्कृष्ट प्रत्येक धनुष्पकि होती है।
(१) बन्धद्वार-ज्ञानावर्णिय कर्म बन्धक ( १ ) किसी समय एक जीव उप्तन्न कि अपेक्षा एक नीव मीलता है (२) कीसी समय बहुत जीव उप्तन्न समय बहुत जीव मोलता है एवं शेष सात कर्माका दोष दोय मांगा समझना परन्तु आयुष्य कर्मके आठ मांगा होता है यथा (१) आयुष्य कर्मका बन्धक एक (२) अवन्धक एक (३) बन्धक बहुत (४) अवन्धक बहुत (१) बन्धक एक, अवन्धक एक (१) बन्धक एक अवन्धक बहुत (७)बन्धक बहुत गन्धक एक (८) पन्धक बहुत अबन्धक मी बहुत ।
(६) वेदेद्वार-ज्ञानावणिय कर्म वेदनाबाला एक तथा गणा और साता बसाता वेदनिय कर्मका मांगा आठ शेष काँका दो दो मामा पूर्ववत समझना। . . . . ..