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(२४) (उ) हे गौतम एक आविळका असंख्याते समर्थ होते । किन्तु संख्याते, अनन्ते समय नहीं होते है।
(२) एवं एकश्वासोश्वासमें असंख्यात समय होते है। (३) स्तोककालमें असंख्यात समय होते है।
(४) एवं एक लवकालमें असंख्याते समय होते है (:) एवं महुर्त (६) अहोरात्री (७) पक्ष (८) मास (९) ऋतु (१०) अपन (११) संवत्सर (१२) युग (१३) शतवर्ष (११) सहस्त्रवर्ष (१५) लक्षवर्ष (१६) पूर्वोगे (१७) पूर्व (१८) तुटीतांग (१९) तुळीत (२.) अडडांग (२१) अडड (२२) मनवांग (२३) अवय (२४) इहांग (२५) हूह (२६) उपगंग (२७) उपळ (२८) पद्मांग (२९) पद्म (१०) निलनिआंग (३०) निकनि (३०) (३१) अस्थनिभाय (३२) अत्यनि (३३) आयुरांग (३४) आयु (३५) नायुरांग (३६) नायु (३७) पायुरांग (३८) पायु (३९) चुलीयांग (४०) चूलिया (११) शीश पेलोयांग (४२) शीषपेलीया (४३) पल्योषौ (४१) सागरोपम (४५) उत्सर्विणि (१६) अक्सपिणि (४७) कालचक्र एवं १७ बोल एक वचन अपेक्षा असंख्यात समय
१ समयकों शास्त्रकारोंने बहुत ही सक्षम बतलाया है देखो अनुयोग. द्वारसुत्रको।२ लक्ष चौरासी वर्गका एक पूर्वाग होते है (३) चौरासी लक्षकों चौरासी लक्ष गुने करनेसे ७०५६०००००००००० वर्षका एक पूर्व होता हैं आगे एकेक बोलकों चौरासी चौरासी लक्ष गुनाकर लेना । (४) यहातक गणत विषय बतलाये है (५) कुर्वेके द्रष्टान्तसे पल्योपमकाल (६) दश कोडाकोड फ्ल्योपमका एक सागरोपम (७) बीस क्रोडाकोड सागरोपमका एक काल चक्रर (८) अनन्ते कालचक्रका एक पुद्गल प्रवर्तन होते है।