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.... श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला पुष्प नं०६८ __ श्री कक्कसूरीश्वरसद्गुरुम्योनमः
अथश्री .
शीघ्रबोध भाग २४वां.
थोकडा नं. १ सूत्र श्री भागवतीजी शतक २१ वां
(वर्ग आठ) इस इकवीसवां शसकके पाठ वर्ग और प्रत्येक वर्गके. दश दश उदेशा होनेते ८० उदेशा है। आठ वर्गके नाम ।
(१) शालीगहु नब न्वारादिका वर्ग (२) कलमुगचीणा मठरादिका .., (३) अलसी कसुंगादिका (8) बांस-वेत स्ता आदिका (१) इक्षु-सेठडी जातिका (६) डाम-तृणनातिका , वृक्ष उत्पन्न होना (७) अक्तोहरा-एक भातिके वृक्षमें दुसरि जातिका(८) तुलसी आदि वेलीयोंका वर्ग
प्रयम शाली आदिके वर्गका मूलादि दश उदेशा है जिस्मे पहला उदेशापर बत्तीतद्वार उतारेगा यथा
(१) उसाद द्वार-शालीके मूलमें कितने स्थानसे जीव माय के उसन्न होते है ? तीर्यचके १६ भेद जेसे तीर्यचके ४८ भेद