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अनुबंध अंतर महुर्तका (७) अध्यवसाय अप्रसस्थ । उ० गमातीन नाणन्ता दो दो (१) आयुष्य स्वस्न स्थानका उत्कृष्ट [२) अनु. बंध आयुष्य माफीक । १६ नाणन्ता हुवा । संज्ञी तीर्थंच पांचेन्द्रिय मरके पृथ्वी का में आवे जिस्का नाणन्ता ११ जं० गमातीन नाणन्ता नौ है ७ पूर्ववत (८) लेश्यातीन (९) समुग्घाततीन उ० गमामें दो दाणन्ता पूर्ववत् एवं ११ । संज्ञी मनुष्य मरके पृथ्वी काय में आवे जिस्का नाणत्ता १२ ज० गमातीन नाणन्त नौ तीर्यंचवत उ० गमातीन नेणन्ता तीन ( ( ) अवगाहाना पांचसो धनुष्य ( २ ) आयुष्य पूर्वकोड (३) अनुबन्ध पूर्वकोडका एवं १२ । एवं सर्व ३० - ३६-११-१२ कुल ८९ एवं शेष च्यार स्थावर तीन वैकलेन्द्रियके ८९-८९ गीननेसे ७१२ नाणान्ता हुवा |
(९) पांच स्थावर तीन वैकलेन्द्रिय असंज्ञी तीच संज्ञी तीच संज्ञी मनुष्य मरके तीर्थंच पांचेन्द्रियमें जावे जिसके ८९ नाता तोथ्वीवत् समझना और २७ स्थान वैक्रयका तीर्थच में आवे जिस्का नाणन्ता च्यार प्यार है ज० गमातीन नाणन्ता दो दो (१) स्व स्वस्थानकी ज० स्थिति (२) अनुबंध आयुष्य माफीक उ० गमातीन नाणन्ता दो दो (१) स्व स्वस्थानका उत्कृष्ट आयुष्य (२) अनुबंध आयुष्य माफोक एवं १०८ तथा ८९ पूर्वक सर्व १९७ ।
(१०) तीन स्थावर तीन वैकलेन्द्रिय तीर्यच पांचेन्द्रिय मनुष्य मरके मनुष्य में जावे जिस्का ८९ नाणन्तासे तेउ वायुका ११ बाद करत ७८ नाणन्ता रहा और बैकयके ३२ स्थानके