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इस माफीक यावत् छठी तमप्रभा तक नौगमा और ऋडि २० द्वारसे कहना परन्तु स्थिति स्वस्वस्थानसे कहना, संहनन, इस माफीक पहेली दुनी नरकमें, छे, तीनीमें पांच, चोथीमें च्यार, पांचमीमें तीन, छठीमें दोय, सातवी नरकमें एक ब्रजऋषभ नाराच संहनन वाला जावे ।
संज्ञी मनुष्य संख्याते वर्षवाला मरके सातवी नरकमें जावे यहांसे स्थिति ज. प्रत्यक वर्ष उ० कोड पूर्ववाला यहांपरं जरू २२ सागरोपम उ० १३ सागरोपम. ऋद्धिके २० द्वार शार्कर प्रभावत् परन्तु एक संहननवाला जावे किन्तु स्त्रि वेदवाला न जावे। भवापेक्षा ज० दोय उ० दोय भव करे कारण मनुष्य सातवी नरक जाते हैं किन्तु वहांसे मनुष्य नही हुवे, सातवी नरकसे निकलके तो एक तीर्यच ही होता है। कालापेक्षा ज० प्रत्यक वर्ष और २१ सागरोपम उ० कोडपूर्व और तेतीस सागरोपम. 'ओघसे ओघ' प्रत्यक वर्ष २२ सा० उ० कोडपूर्व ३३ सा. 'ओघसे ज० , उ० , १२ सा. 'ओघसे उ० , , उ० " ३३ सा. म. ओघ
, उ., १३ सा० ज० न०
उ० प्र० वर्ष २२ सा•
उ० कोडपूर्व ३३ सा. उ० ओध कोडपूर्व तेतीस सा० उ०, ३३ सा० उ० ज०
उ० प्र० वर्ष २२ सा. उ०
उ० कोडपूर्व ३३ मा