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(५९) (३) गमें ज० उ० तीन पल्योपमकि स्थितिमें उत्पन होवे परिमाण १-२-३ उ• संख्याते जीव उत्पन्न होते है। मवगाहाना पूर्ववत् भव ज० दोष उ० दोय भव करे काल ज० अन्तर महुर्त और तीन पल्योपम उ• तीन पल्योपम और कोडपूर्व ।
(४-५-६ ) इस तीन गमाकि ऋद्धि तीर्यच पांचेन्द्रिय जो पृथ्वीकाबमें गया था उस माफीक भव ज• दोयमव उ. माठ भव करे काल चोथे गमें अन्तरमहुर्त कोडपूर्व उ० च्यार मन्तर महुर्त और च्यार कोडपूर्व, पांचवे गमें न० दोय अन्तरमहुर्त उ० माठ अन्तरमहुर्त, छटे गमें कोडपूर्व और अन्तरमहुर्त उ० च्यार कोडपूर्व और च्यार मन्तरमहुर्त ।
(७) सातवे गमें ज० उ० कोडपूर्ववाला नावे भव ज. उ० दोय करे काल ज० कोडपूर्व और अन्तरमहुर्त उ० तीन पल्योपम और कोडपूर्व ।
(८) गमें भव ज० दोय. उ० आठ भव काल ज० कोड पूर्व अन्तरमहुर्त उ० च्यार कोडपूर्व और च्यार अंतरमहुर्त ।।
(९) गमें परिमाण स्थिति अनुबंध तीसरे गमेंकि माफीक भव ज० उ० दोयभव करे काल तीन पल्योपम और कोडपूर्व उ० तीन पल्योपम और कोडपूर्व । तथा असंख्याते वर्षके तीर्यच युगलीये होते है वास्ते वह मरके तीयंचमें नहीं जाते है उन्होंकि गति केवल देवतोंकि ही है वास्ते यहा उत्पात नहीं है । इति । .. मनुष्य संज्ञी तथा असंज्ञी दोय प्रकार के होते है जिस्में असंज्ञी मनुष्य मरके वीर्यच पांचेन्द्रियमें न० अंतरमहुर्त उ०