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मधन्य साधिक कोडपूर्वकि स्थिति युगळीयोंकि होती हैं. परन्तु न्योतीषीयों में इस स्थितिका स्थान नहीं है। . ...
(७) गमें ३ पल्यो० उ० च्यार. पल्यो लक्ष वर्ष । .
(८) गमें ३ पल्यो. उ० तीनपल्यो - साधिक । - (९) गमें ४ पल्यो० लक्ष वर्ष एवं उत्कृष्ट ।
संख्याते वर्षायुवाला तीर्यच पांचेन्द्रिय न्योतीषी देवोंमें उत्पन्न होते है । वह असुरकुमारकि माफोक ऋद्धि और नौगमा समझना ।
असंख्याते वर्षवाले संज्ञी मनुष्य परके ज्योतीषो देवोंमें उत्पन्न होते है वह असंख्याते वर्षवाले संज्ञो तीर्यचकि माफोक समझना । इतना विशेष है कि १-२-३ इस तीन गमा अगाहाना ज० नौ सो धनुष्य साधिक उ० तीन गाउकि ४. इस गमामें अवगाहाना ज० उ० साधिक नौसो धनुष्य तथा ७-८-९ इस तीन गमामें अवगाहाना न० उ० तीन गाउकि है शेष पूर्ववत् । ____ संख्याते वर्ष के संज्ञो मनुष्य ज्योतीषीयोंमे उत्पन्न हते है निस्के ऋद्धि तथा नौगमा, जेसे मनुष्य असुरकुमारमे उत्पन्न हुवा था परन्तु यहा पर स्थिति मनुष्य और ज्योतोषो देवोंसे गमा पहना शेष पूर्ववत इति २४-२३ । ___(२४) वैमानिक देवतावोंका उद्देशा-बारह देवलोक, नोंग्रीबैग, गंवानुत्तर वैमान यह सब वैमानिकमें पीने जाते है। प्रथम सौधर्म देवलोकके अन्दर संज्ञो तीर्थत्र संख्यात वर्ष वाले असंख्यात वर्षवाले संज्ञो मनुष्य संख्याते वर्षवाले उत्पन्न होते है। यह सर्व ज्योतीषीयोंके माफोक माना, 7 पंच्या मागे टीक