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१० म. ,, उ० साधि को १.... वर्ष न० उ० ,, उ० ६ पल्योपम उ० ओघ ६ पस्योपम उ. सा. कां. ३ पल्मोपम उ० ज० ,, उ० साधि० १००.० वर्ष उ० उ. , , उ०१ पल्यो.
नाणन्ता इस माफीक है। (१) तीजे गमे १० उतीन पल्योपकि स्थितिवाला जावे।
(२) चोथे गमे ज० उ• साधिक पूर्वकोड वाला जावे और अवगाहना ज० प्रत्यक धनुष्य उ० १००० धनुष्यवाला जावे एवं ५-१४ गम भी।
(३) सातवे गमें न० उ० तीन पल्योंकि स्थितिवाला नावे इसी माफीक आठवे तथा नौवागमा समझना । ___संज्ञी तीयच पांचेन्द्रिय संख्याते वर्षवाला मरके असुरकुमार देवतोंमें जावे तो नौगमा और ऋद्धिके २० द्वार जेसे संज्ञीतीर्यच पांचेन्द्रिय संख्याते वर्षवाला रत्नप्रभा नरकमें उत्पन्न समय कही थी इसी माफीक समझना इतना विशेष है कि रत्नप्रभामें उ. स्थिति एक सागरोपमकि थी यहांपर उ० स्थिति एक सागरोपम . साधिक केहना । गमा ४-५-६ लेश्या च्यार और मध्यवसाय प्रसस्थ समझना। ___ संज्ञी मनुष्य दोय प्रकारके है (१) संख्याते वर्षवाले (२) असंख्याते वर्षवाले जिस्में असंख्याते वर्षवाले मनुष्य (युगलीया) मरके असुर कुमार, जाव तो वहांपर स्थिति न० दशहजार वर्ष