________________
मध्यम गमा तीन ४-५-६ निस्मे स्थिति तथा अनुबन्ध अघन्य उत्कृष्ट दश हजार वर्षका है। ... .
उत्कृष्ट गमा तीन ७-८-९ जिस्मे स्थिति तथा अनुबन्ध नधन्य उत्कृष्ट एक सागरोपमका है।
एवं छटी नरक तक परन्तु अवगाहाना लेश्या स्थिति अनु. बन्ध अपने अपने स्थानकि कहना गमा सब स्थानपर मपति २ स्थितिसे लगा लेना शेष रत्नप्रभा नरकवत समझना।
सातवी नरकके नैरिया मरके तीर्यच पांचेन्द्रियमें ज० अंतर महुर्त उ० कोडपूर्व कि स्थितिमें उत्पन्न होते है निस्के ऋद्धिके २० द्वार रत्नप्रभाकि माफीक परन्तु अवगाहाना भव धारिणी न० अंगुलके मसंख्याते भाग उ० ५०० धनुष्य उत्तर वैक्रय ज० अंगु० संख्यातमें भाग उ० १... धनुष्य लेश्या एक कृष्ण स्थिति न० २२ सागरो० उ० १३ सागरोपमकि अनुबन्ध स्थिति माफीक । भवापेक्षा न दोय भव उ० ६ भव करे । कालापेक्षा ज० बावीस सागरोपम अन्तरमहुर्त अधिक उ० छासट (६६) सागरोपम तीन कोडपूर्व अधिक । यह प्रथमके ६ गमाकि अपेक्षा है और ७-८-९ इस तीन गमाकि अपेक्षा ज० दोय भव उ० च्यार भव करे कारण सातवी नरकके उ० दोय भवसे अधिक न करे । कालापेक्षा ज० तेतीस सागरोपम अन्तर महुर्त, उ०६६ सागरोपम दोय कोडपूर्व अधिक नौ गमाका काल पूर्ववत् लगा लेना ( सुगम है।)
पृथ्वीकाय मरके तीर्यच पांचेन्द्रियमें ज० अन्तर महुर्त उ० कोडपूर्वकि स्थितिमें उत्पन्न होते है मिस्की ऋद्धिके २० द्वार।