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. . (१८) भुवनपति व्यन्तरमें जावे तो ज० प्रत्यक धनुष्य कि उ० इमार योजन साधिक । ज्योतीषीमें जावे तो ज० प्रत्यक धनुष्य उ. १८०० धनुष्य. सौधर्म ईशानमें जावे तों न० प्रत्यक धनुष्य उ. दोयगाउ तथा दोयगाउ साधिक (२) आयुष्य भुवनपति व्यन्तर जावे तो कोडपूर्व साधिक जोतीषीमें पल्योपपके आठमे भाग. सोधर्म इशानमें जावे तो एक पल्योपम तथा एक पल्योपम साधिक उ० तीनपल्योपम । (३) अनुबन्ध आयुप्यकी माफिक । उ० गमातीन नाणन्ता दो दो (१) अयुष्य • तीन पल्योपमंका (१) अनुबन्ध भी तीन पल्योपपका एवं १४ स्थानको पांचगुने करने से ७. नाणन्ता हुवा।
(६) मनुष्ययुगलीया १४ स्थान जावे नाणन्ता छे छे । न० गमा तीन नाणान्ता तीन तीन (१) अवगाहाना भुनपति व्यन्तरमें जावे तो पांच सो धनुष्य साधिक, ज्योतीषोमें जावेतों ९०० धनुष्य साधिक. सौधर्म देवलोक जावे तो एक गाउ. इशांन देवलोक जावे तो साधिक एक गाऊ.. (२) आयुष्य भुवनपति व्यंतरमें जावे तो साधिक कोड़ पूर्व. ज्योतीष योंमें जावे तो पल्योपमके आठवा भाग. सौधर्म देवलोकमें न वे तो एक पल्योपम. इशांनमें साधिक पत्योपम (३) अनुबन्ध आयुष्य कि माफिक | उत्स्ष्ट गमा तोन नाणन्ता तीन तीन (१) अवगाहाना तीनगाउ (२आयुष्य तीन पत्योपम (१) अनुबन्ध आयुःयके माफोक एवं चौदस्थानसे छे गुना करनेसे ८४ नाणन्ता हुआ।
(७) दश भुवनपति. त्र्यन्तर. ज्योतीषी. सौधर्म. ईशान