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भावार्थ-बैमारमुनिके रक्तादिसे वस्त्र अशुचि हो, वास्ते अधिक देना बतलाया है.
(५३) ,, वन जीण है, धारण करने योग्य नहीं है, स्व. ल्पकाल चलने योग्य है, ऐसा वस्त्र ग्रहन करे. ३
(५४) नया वस्त्र, धारण करने योग्य, दीर्घकाल चलने योग्य है, ऐसा वस्त्र न धारे. ३ भावना पात्र उद्देशाकी माफिक.
(५५) ,, वर्णवन्त वस्त्र ग्रहन कर, धिवर्ण करे. ३ ( ५६ ) विवर्णका सुवर्ण करे. ३
(५७ ) नया वस्त्र ग्रहन कर उसे तैल, घृत, मक्खन, चरबी लगावे.३
(५८) एवं लोद्रव, कोकण. अबीरादि द्रव्य लगावे. ३
( ५९) शीतल पाणी, गरम पाणीसे एकवार, वारवार धोवे. ३
(६०-६१-६२) नया वस्त्र ग्रहन कर बहुत दिन चलेगा इस अभिप्रायसे तैलादि, लोद्रवादि, द्रव्य लगावे, शीतल पाणी गरम पाणीसे धोवे.३
(६३) नया सुगंधि वस्त्र प्राप्त कर उसे दुर्गन्धी करे. (६४) दुर्गन्धि वस्त्र प्राप्त कर उसे सुगन्धि करे. (६५) सुगंधि वस्त्र ग्रहन कर, उसे तैलादि. .. (६६) लोद्रवादि लगावे.
(६७) शीतल पाणी, गरम पाणीसे धोवे. एवं तीन सूत्र दु. गैधि वस्त्र प्राप्त कर.
(६८-६९-७० ) एवं छे सूत्र बहुत दिनापेक्षा भी कहना. (७६ ) सूत्र हुवे.