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(१२) जहांपर राजा ठहरे है, उसकी नजदीकमें, आसपासमें साधु ठहर स्वाध्याय करे, अशनादि च्यार आहार करे, लघु. नात वडीनीत परठे, औरभी कोइ अनार्य प्रयोग कथा कहे. ३
(१३), राजा बाहार यात्रा निमित्त गया हुवाका अशनादि च्यार आहार ग्रहन करे. ३
(१४ ) एवं यात्रासे आते हुवेका आहार लेवे. ३ (१५-१६ ) एवं दो सूत्र नदीयात्रा आतों जातोका.
(१७-१८) एवं दो सूत्र गिरियात्राका. - (१९) एवं क्षत्रिय राजाका महा अभिषेक होते समय गमनागमन करे, करावे. ३
(२०) एवं चंपानगरी, मथुरा, बनारसी श्रावस्ति, साकेतपुर, कपिलपुर, कौशांबी मिथिला, हस्तिनापुर, और राजगृहइस नगरोंमें अगर राज्याभिषेक चलता हो, उस समय साधु दोय वार तीनवार गमनागमन करे, करावे, करतेकों अच्छा समझे.
भावार्थ- सामान्य साधुवोंको ऐसे समय गमनागमन नहीं करना चाहिये. कारण-शुभाशुभका कारण हो तथा राजादिको वादी प्रतिवादीके विषय शक उत्पन्न हुवे. इसलीये मना है.
(२१) ,, राज्याभिषेकका समय क्षत्रियोंके लीये बनाया भोजन, राजावों के लीये, अन्य देशोंके राजावोंके लीये, नोकरोंके लीये, राजवंशीयोंके लीये, बनाया हुवा आहार मुनि ग्रहन करे, करावे, करतेको अच्छा समझे. कारण-यह भी राजपिंड ही है.
(२२),, राज्याभिषेक समय, जो नट- स्वयं नाचनेवाले, नटवे-परको नचानेवाले, रसीपर नाचनेवाले,झालीपर कूदनेवाले,
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