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है. वह द्रव्य क्षेत्र काल भाव देख के प्रवृत्ति करते है. किसी अपेभासे आगमव्यवहारी सूत्रव्यवहारकी प्रवृत्ति, सूत्रव्यवहारी आज्ञाव्यवहारकी प्रवृत्ति, आज्ञाव्यवहारी धारणाव्यवहारकी प्रवृत्ति, धारणाव्यवहारी जीतव्यवहारकी प्रवृत्ति अर्थात् एक व्यवहारी दुसरे व्यवहारको अपेक्षा रखते है, उस अपेक्षा संयुक्त व्यवहार प्रवृतानेसे जिनाज्ञाका आराधक हो सकता है. (३) च्यार प्रकारके पुरुष ( साधु ) कहे जाते है. [१] उपकार करते है, परन्तु अभिमान नहीं करे. [२] उपकार तो नहीं करे, किन्तु अभिमान बहुत करे. [३] उपकार भी करे और अभिमान भी करे. [४] उपकार भी नहीं करे और अभिमान भी नहीं करे. ( ४ ) च्यार प्रकारके पुरुष ( साधु ) होते है. [१] गच्छका कार्य करे परन्तु अभिमान नहीं करे. [२] गच्छका कार्य नहीं करे, खाली अभिमान ही करे. [३] गच्छका कार्य भी करे, और अभिमान भी करे. [४] गच्छका कार्य भी नहीं करे, और अभिमान भी
नहीं करे. (५) च्यार प्रकारके पुरुष होते है. . [१] गच्छकी अन्दर साधुवोंका संग्रह करे, किन्तु अभि
मान नहीं करे. [२] गच्छकी अन्दर साधुवोंका संग्रह नहीं करे, परन्तु
अभिमान करे. [३] गच्छकी अन्दर साधुवोंका संग्रह करे और अभिमान
भी करे.