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(८) एवं आगमोंकी वाचना देवे. ३ (९) एवं आगमोंकी वाचना लेवे. ३ (१०) एवं पढे हुवे ज्ञानकी आवृत्ति करे. ३
भावार्थ-वहस्थान जीव सहित है. वहां बैठके कोई भी कार्य नहीं करना चाहिये, अगर ऐसे सचित्त स्थानपर बैठके उक्त कार्य कोइ भी साधु करेगा, तो प्रायश्चित्तका भागी होगा.
(११) , अपनी चद्दर अन्य तीर्थी तथा उन्होंके गृहस्थों के पास सीलावे. ३
(१२) एवं अपनी चद्दर दीर्घ लंबी अर्थात् परिमाणसे अ. धिक करे. ३
(१३) ,, निंबके पत्ते, पोटल वृक्षके पत्ते, बिल वृक्षके पत्ते शीतल पाणीसे, गरम पाणीसे धोके प्रक्षालके साफ करके भोजन करे. ३ यह सूत्र कोइ विशेष अरणीयादिके प्रसंगका है.
(१४) ,, कारणवशात् सरचीना रजोहरण लेनेका काम पडे.* मुनि गृहस्थोंको कहे कि तुमारा रजोहरण हम रात्रिम वापिस दे देंगे. ऐसा करार करनेपर रात्रिमें नहीं देवे. ३ __(१५ ) एवं दिनका करार कर दिनको नहीं देवे. ३ . भावार्थ-इसमें भाषाकी स्खलना होती है. मृषावाद लगता है. वास्ते मुनिको पेस्तरसे ऐसा समय करार ही नहीं करना चाहिये. ____कोइ तस्कर मुनिका रजोहरण चुराके ले गया, खबर करनेसे चोर कहता है कि मैं दिनको लज्जाका मारा दे नहीं सक्ता. परन्तु रात्रिके समय अापका रजोहरण दे जाउंगा. ऐसी हालतमें गृहस्थोंसे करार कर मुनि रजोहरण लावे कि-तुमारा रजोहरण रात्रिमें देदूंगा.