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रामायण
इस श्लोक का लिट् लकार का प्रयोग 'वाचख्युः' ध्यान देने के योग्य
| इस प्रयोग से 'बहुत प्राचीन समय में' सूचित होता है ।
(८) रामायण
(क) भारतीय ग्रन्थकार रामायण को आदि काव्य और रामायणरचियता वाल्मीकि को यादि कवि कहते हैं। रामायण में केवल युद्धों और विजयों का ही वर्णन नहीं है, इसमें आलङ्कारिक भाषा में प्रकृति का भी बड़ा रमणीय चित्र अङ्कित किया गया है। इस प्रकार रामायण में सर्व प्रिय ऐतिहासिक काव्य और अलंकृत काव्य दोनों के गुण पाये जाने हैं। कदाचित् जगत् में कोई अन्य पुस्तक इतनी सर्वप्रिय नहीं है, जितनी रामायण । अपनी रचना के दिन से लेकर ही यह भारतीय कवियों और नाटककारों के प्राणों में नवीन स्फूर्ति भरती चलो भाई है महाभारत के तीसरे पर्व में राम की कथा आती है । ब्रह्माण्ड, विष्णु, गरुड़, भागवत, अग्नि इत्यादि पुराणों में भी रामायण के श्राधार पर रची हुई राम के पराक्रम की कथाएँ पाई जाती हैं । भाल, " कालिदास तथा संस्कृत के अन्य अनेक कवियों और नाटककारों की रचना इसी रामायण से उच्छ्वसित हुई है। यहां तक कि बौद्ध कवि अश्वघोष ने भी निस्सङ्कोच इसी से बहुत सा मलाला लिया है। जैन साधु विमलसूरि ( ई० की पहली शताब्दी ) का ग्रन्थ भी इसी के आधार पर लिखा गया है । बौद्ध ग्रन्थों के तिब्बती तथा चीनी अनुवादों में ( ई० की तीसरी शतादी) राम के वीर्यों की कथाएँ, या उनकी ओर संकेत प्राय: हैं । अब से शताब्दियों पहले रामायण भारत में ही नहीं, भारत से बाहर भी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी थी। जावा में लरजङ्गरङ्ग, प्रमबनम और पनातरन में शिवमन्दिरों में तथा देवगढ़ में विष्णुमन्दिर में पत्थर के ऊपर
१. देखिए अभिषेक, प्रतिमा तथा यज्ञफलम्, देखिए रघुवंश । २. देखिए उसका प्राकृत काव्य पउमचरिय ( पद्मचरित ) |