________________
महाभारत
पाये हैं। हरिवंश में रामोपाख्यान तथा अन्य आकस्मिक उल्लेखों के अलिपिक वाल्मीकि रामायण को पूर्वतनी (अर्थात् पहले की) सिद्ध करने वाले विस्पष्ट उल्लेख पाये जाते हैं। यथा---
अपि चायं पुरा गीतः श्लोको वाल्मीकिना भुवि ।। होपकिन के मत से इन उल्लेखों से इस बारे में यह सिद्ध नहीं झोता कि वाल्मीकि, आदिकवि के रूप में, महाभारत से पहले हुए, इनसे केवल इतना ही सिद्ध हो सकता है कि वाल्मीकि ने तब रामायण लिखी, जब महाभारत श्रमी सम्पूर्ण नहीं हुआ था। महाभारत में वायुपुराण का भी उल्लेख पाया जाता है। उसले मी यही सिद्ध होता है कि महाभारत के प्रारम्भ ले पूर्व नहीं; मत्युत समाप्त होने से पूर्व 'उक्त नाम का कोई पुराण विद्यमान था। इस प्रकरण में यह बात स्मरणीय है कि पीछे की रामायण महाभारत से परिचय सूचित करती है। अतः विस्पष्ट है कि भाज कल की सारी रामायण महाभारत के प्ररम्भ से पहले सम्पूर्ण नहीं हुई थी। रामायण में जन्मेजय को एक प्राचीन वीर स्वीकार किया गया है और कुरूषों तथा पञ्चालों का एवं हस्तिनापुर का मी उल्लेख पाया जाता है। इन सब बातों से यह परिणाम मिकलता है- (1) राम की कथा पाण्डवों की कथा से पुरानी है। (२) पाएडवों की कथा वाल्मीकि रामायण से पुरानी है। और, (३) सारी मिलाकर देखी जाय तो रामायण, सारा मिलाकर देखे हुए महाभारत से पुरानी है।
(च) रचना-स्थान-तुल्य प्रकरणों और श्रामाणकों के आलोचनात्मक अध्ययन से पता लगता है कि उत्तरकाण्ड में गङ्गा के मैदान की अनेक कहानियाँ है, और प्राचीनतम महाभारत में पंजाब के रीति-रिवाज वर्णित हैं तथा महाभारत ऊध्यकालीन प्रोपदेशिक भागों का सम्बन्ध कोसल और विदेह से है । दूसरे शब्दों में, उर्वकालीर विकास की दृष्टि से दोनों महा-काज्यों में प्रायः समान देशों की बात है
छ) पारस्परिक साम्य-(१)शैली-जैसा पहले कहाजा चुका