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हर्टल के मतानुसार वर्गीकरण
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-- (११०० ई० के प्राख-पाल) किसी जैन द्वारा रचित संस्कर जिसे आजकल 'सरल ग्रन्थ' (Textus Simplicior' का नाम दिया गया है।
- ११६३ ई० के आस-पास ) पूर्णभद्र का प्रस्तुत किया हुआ संस्करण |
--दक्षिणी पञ्चतन्त्र |
-नेपाली पञ्चतन्त्र |
Sanileo
- हितोपदेश |
(३) क्षेमेन्द्र की बृहत्कथा मञ्जरी में और सोमदेव के कक्षा सरित्सागर में श्राया हुधा पञ्चतन्त्र का पाठ |
(४) पहलवी संस्करण, जिसके आधार पर पाश्चात्य संस्करण बने । ऐजर्टम ने ( Escrton ) पञ्चतन्त्र के ऊपर बड़ा परिश्रम किया है। उसके मत से पञ्चतंत्र परम्परा की चार स्वतन्त्र धाराएँ हैं (जिनका उसलेख ऊपर किया गया है ) । प्रो० हर्टस के विचार में दो ही स्वतन्त्र धाराए' हैं । दोनों के विचारों के भेद को नीचे दी हुई सारखी से हम अच्छी तरह समझ सकते हैं
हर्टल के मतानुसार वर्गीकरण
चक्र
उत्तर पश्चिमक
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सत्राख्यायिका
पहवी दक्षिणी 'सरल' पूर्णभद्र नेपाली हितोपदेश बृहत्कaaja पंचतंत्र ग्रन्थ' लिखित संस्करण पंचतंत्र
* यह चिह्न काल्पनिक संस्करण सूचित करता है।