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________________ हर्टल के मतानुसार वर्गीकरण २४१ -- (११०० ई० के प्राख-पाल) किसी जैन द्वारा रचित संस्कर जिसे आजकल 'सरल ग्रन्थ' (Textus Simplicior' का नाम दिया गया है। - ११६३ ई० के आस-पास ) पूर्णभद्र का प्रस्तुत किया हुआ संस्करण | --दक्षिणी पञ्चतन्त्र | -नेपाली पञ्चतन्त्र | Sanileo - हितोपदेश | (३) क्षेमेन्द्र की बृहत्कथा मञ्जरी में और सोमदेव के कक्षा सरित्सागर में श्राया हुधा पञ्चतन्त्र का पाठ | (४) पहलवी संस्करण, जिसके आधार पर पाश्चात्य संस्करण बने । ऐजर्टम ने ( Escrton ) पञ्चतन्त्र के ऊपर बड़ा परिश्रम किया है। उसके मत से पञ्चतंत्र परम्परा की चार स्वतन्त्र धाराएँ हैं (जिनका उसलेख ऊपर किया गया है ) । प्रो० हर्टस के विचार में दो ही स्वतन्त्र धाराए' हैं । दोनों के विचारों के भेद को नीचे दी हुई सारखी से हम अच्छी तरह समझ सकते हैं हर्टल के मतानुसार वर्गीकरण चक्र उत्तर पश्चिमक T सत्राख्यायिका पहवी दक्षिणी 'सरल' पूर्णभद्र नेपाली हितोपदेश बृहत्कaaja पंचतंत्र ग्रन्थ' लिखित संस्करण पंचतंत्र * यह चिह्न काल्पनिक संस्करण सूचित करता है।
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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