Book Title: Sanskrit Sahitya ka Itihas
Author(s): Hansraj Agrawal, Lakshman Swarup
Publisher: Rajhans Prakashan

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Page 340
________________ परिशिष्ट (२) ३१६ बुहर ( Bubler) की युक्ति- बुहर की नजर से भारतीय वर्णमाला का जन्म उत्तरी सैमाइट वर्णमाला से अर्थात् कीनिशियन वर्णमाला से हुआ था और इसका व्युत्पादन हुआ था उत्तर पूर्वी सैमाइट वर्णमाला के उर्ध्वकालीन नमूनों में से किसी एक नमूने में से । बुहर के अनुमान का श्राधार वच्यमाण धाराएँ हैं: ( १ ) एक वर्णमाला की उत्पत्ति मिस्व देश को चित्राकार लिपि ( Heiroglyphics ) से हुई थी, और (२) ब्राह्मी लिपि प्रारम्भ में दाहनी ओर से बाईं ओर को लिखी जाती थी । एरन ( Eran ) के सिक्के से सिद्ध होती है । इन धारणाओं के समर्थन के लिये उसने निम्नलिखित साच्य इ.दे हैं: --- makakapantay असीरिया के फणाकार (Cuneiform ) वणों से निकले हुए प्राचीन दक्षिणी सेमाइट वर्णं ही हिम्यैराइट (Himyarite) वर्णों के जन्म दाता हैं । (३) डा० श्राइजक टेलर (Isaac Taylor ) की सम्मति में इसकी जननी दक्षिणी अरब देश की एक वर्णमाला है जो हिम्यैराइट वर्णमाला की भी जननी है । (४) ऐम० जे० हैलेवि (M. J. Halevy) का कथन है कि यह वर्णमाला वर्णसङ्कर है अर्थात् कुछ वर्ण ई० पू० चौथी शताब्दी की उत्तरी सैमाइटवर्ग की वर्णमाला के है, कुछ खरोष्ठी के और कुछ यूनानी के । कहा जाता है कि यह खिचड़ी ५२५ ई० पू० के आसपास पक कर तैयार हुई थी। दूसरी ओर सर ए० कनधिम ( Sir A Cunningham) कहते हैं कि भारतीय ( जिसे पाली और ब्राह्मी भी कहते हैं ) वर्णमाला भारतीयो की उपज्ञा है और इसका आधार स्वदेशीय चित्राकार लिपि विज्ञान ( Heiroglyphics ) है |

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