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२६२ सस्कृत साहित्य का इतिहास (१०३) पह्नवी संस्करण और कथा की पश्चिमी यात्रा ।
पञ्चतन्त्र का यहलवी संस्करण हकीम बाज़ाई के प्रयत्न से ग्वुसारी अनोशेषों के शासन काल में (५६१-७६ ई.) प्रस्तुत हुआ। इसके इस जन्म का नाम कर्टक और दमन' था। यह संस्करण सन्त्राख्यायिका से बहुत मिलता होगा । दुर्भाग्य से यह संस्करण लुप्त हो गया था, परन्तु इसका अनुवाद ५७० ई. में बूद नामक किलो विद्वान् से पुरानी सीरियन भाषा में ७१० ई. के लगभग अब्दुल्लाः इन्नुला मोकपका ने अरबी में कर दिया था। सीरियन संस्करमा की केवल एक अपूर्ण इस्तांकित प्रति प्राप्य है। अरबी संस्करण का नाम था कलील दिन्न: । यह अरवौ संस्करण महत्व का संस्करण है, क्योंकि यही सब पाश्चात्य संस्करणों का उपजीच्य है। दसवीं या ग्यारवीं शताब्दी के पास पास इसका अनुवाद पुरानी सीरियन से बाद की सीरियन भाषा में और १२५१ ई० में पुरानी स्पैनिश भाषा में हुअा। ये अनुवाद पर्याप्त उर नहीं निकले। १००० ई. के समीप अरबी अनुवाद का अनुवाद यूनानी भाषा में हुा । यह यूनानी अनुवाद इटैलियन, एक जर्मन, हो लैटिन और कई स्लैबोनिक अनवादों का उपजीव्य इना । अरबी अनुवाद का हिंब अनुवाद १६०० ई. के निकट हुआ। इसका कर्ता की जोईल था। इसका महत्व अरबी अनवाद से भी अधिक है, क्योंकि फिर इसका लैटिन अनुवाद १२६६ और १२७८ ई. के बीच जौन भाव कैपुश्रा ने ( John of Capua) किया। यह १४८० ई० में दो बार मुद्रित हुना। इसका फिर जर्मन अनुवाद ऐन्थानियस वॉन फर ने ( Anthonius Von
१ ये दोनों नाम प्रथम तन्त्र में दो चतुर श्रृगालों के हैं । २ ये दोनों नाम कटंक और दमनक के रूपान्तर हैं । ३ इसका कर्ता गियुलिअोनुति (Gtulio-Nuti) है और रचना काल १५८३ ई० ।