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हेमचन्द्र कृत परिशिष्ट पर २३५ लेखक ने इसे स्वयं विशदार्थ कर दिया है। अतः अलंकार का समझना कठिन नहीं है। ग्रन्थ के बीच में कहीं कहीं आए हुए पचों को छोड़ कर सारा गद्य ही है । भाषा इतनी सरत्न है कि उसे बानक भी आसानी से समझ सकते हैं कम से कम जेखक का उद्देश्य यही है । शैली रोचक है; परन्तु अल कार के सांचे में ढला हुश्रा, तथा प्रौपदेशिक प्रकार का होने के कारण अन्य रोचक नहीं है।
ब) हेमचन्द्र कृत परिशिष्ट पर्व (१०८८-१९७२ ई०)। ____ हेमचन्द्र के परिशिष्ट पर्व में प्राचीन काल के जैन साधुनों की कहानियां दी गई हैं। ये कहानियां सरल और लोकप्रिय हैं। लेखक के मन में अपने धर्म प्रचार का भाव इतना उन है कि ऐतिहासिक नप चन्द्रगुप्त भी जैनधर्मावलम्बी एक सच्चे भक्त के रूप में मरा बतलाया गया है।
आश्चर्य है कि प्रसिद्ध इतिहासकार विन्सेंट स्मिथ ने इस कहानी पर विश्वास कर लिया । यह मन्थ इसो लेखक के त्रिषष्टि शलाका पुरुषचरित नामक ग्रन्थ का पूरक है।