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संस्कृत-साहित्य का इतिहास
वर्णित विवाहित जीवन के प्रानन्द का चित्र कुमार संसद के वर्ग में वर्णित ऐसे ही चिनले मिलाकर देखना चाहिये ।
(ङ) शैली- (१) इसने वैदर्भी रीति का अवलम्बन लिया है। अनुप्रास पर इसका विशेष स्नेह है किन्तु यह कृत्रिमता की सीमा को नही पहुँचा है।
(२) इस कवि की विशेषता सौन्दर्य में है । प्रो ए. बी कीथ' का काथन है कि इसकी रचना में सुन्दर सुन्दर श्रलंकारों की प्रचुरता है जो मधुर वचनोए-पास के द्वारा अभिव्यक्त किए गए हैं। साथ ही इसकी रचना में ध्वनि ( स्वमन) और वृन्द का वह चमत्कार है जो संस्कृत को छोड़ कर किसी अन्य भाषा में उत्पन्न करने की शक्ति
(३) यह सुन्दर चित्र तथा रमणीय परिस्थितियां चित्रित करने की शक्ति रखता है:---
पश्यन् हत्तो मन्मथवाणपातः, शको विधातु न निमीलचक्षुः । अरू विधात्रा हि कृतौ कथं ताविल्यास तस्यां सुमतेवितर्क.२ ॥ निम्नलिखित पय में किशोर राम का एक सुन्दर चिन्न उतारा गया है:
नस राम इह क्व यात इत्यनुयुक्तो वनिताभिरप्रतः । निजइस्तापुटावृताननो, विदधेऽलोकनितीनमर्भकः॥
१ संस्कृत साहित्य का इतिहास (इंग्लिश ) ( १९२८ ), पुष्ठ १२१ १२ ब्रह्मा ने उन जंघात्रों को कैसे बनाया होगा ? यदि उसने उनपर निगाह डाली होगी तो वह काम के बाणो से विद्ध हो जाना चाहिए था और यदि उसने अांख मींचली होगी तो वह बना नहीं सकता था । इस प्रकार प्रतिभाशाली पुरुष भी उस (स्त्री) के विषय में विचार करता हुश्रा संशय मग्न था।
३ सामने खड़ी हुई स्त्रियों ने पूछा, क्या राम यहाँ नहीं है ? वह कहां