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मा-काव्य और चम्यू अदाहरण के लिए इण-सौन्दर्य का और पशु एवं सा-यादमों में हामस्थ-प्रेम का बाम इत्यादि बा बसाई जा सकती है। इसमें युक्ति यह दी जाती है कि जैसे यूनानी फजित ज्योतिष का प्रभाव भारतीय 'कलित ज्योतिष पर बहुत बड़ा है, वैसे ही गध-काग्य(कथा माझ्याधिका) के क्षेत्र में भी घूमान ने भारत पर अपना प्रभाव दाखा होगा। ऐम.
कोरे ने यूनानी गड-काव्य और गुणात्यकृत बक्षकथा में कुन समानताए दिखाई है, निदर्शनार्थ, दोनों में वायम प्राणियों की जाति का वर्णन, नायक और नायिका के कर तथा अन्त में उनकी विजय, उनका वियोग और पुनर्मितन, और उनके वीरोचित परामों का वर्णन तथा ऐसी ही और भी कई बातें पाई जाती है। इससे उपने यह परिणाम निकाला कि बृहत्कथा यूनानी गद्य-कार की ऋषी है। बाद में उसने अपनी सम्मति बदल दी और कहा कि यूनानी भाय-काव्य भारतीय साहित्य का ऋणी है। किन्तु ये सब परिणाम अपर्याप्त आधार पर आश्रित हैं। भारतीय और युनानी साल्यायिकानों में मान्य की अपेक्षा वैषम्य अधिक विचार करने योग्य
। यूनानी कहानी और सुबन्धुकत वासवदत्ता की कथा में घटनासाम्य की कुछ और बातें ये हैं.---
स्वप्न द्वारा परस्पर प्रेम का प्रादुर्भाव, स्वयंवर, पत्र-व्यवहार, मूर्धा, विशाल अनुशोचन, अात्मघात की इच्छा।
निम्नलिखित साहित्यिक रचना-भागों का साम्य भी दर्शनीय है:---
कथा में कथा तथा उपकथा, प्रकृति-वर्णन, विस्तृत-व्यक्ति-वर्शन, कथादि के विद्वत्तापूर्ण संकेत, प्राचीन दृष्टान्तों का सुनाना, अनुप्रास इत्यादि ( देखिये, में सम्पादित वासवदत्ता, पृष्ट ३५.६ । अन्त में में महाशय परिणाम निकालते हुए कहते हैं-"तो भी ये तथा अन्य और साम्य जो दिखलाए जा सकते हैं मुझे कुछ भी सिद्ध करते प्रतीत नहीं होते ।")