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अध्याय ११
ऐतिहासिक काव्य नौ अध्याय में हम काव्य-ग्रंथों का साधारणरूप ले वर्णन कर चुके हैं । इस अध्याय में उन ऐतिहासिक कामों का दर्शन किया जायमा जो संस्कृत में उपलभ्यमान हैं। वाङ्मय के इस बार में भारत के कुछ अच्छा काम करके नहीं दिखाया है। संस्कृत में इतिहास का सबसे बड़ा लेखक कल्हण है। इसमें विवेचनात्मक विचार करने की शक्ति है
और इसने नाना साधनों से भासन्न भूतकाल के इतिहास का ज्ञान प्राप्त किया था, जिसकी घटनाओं के बारे में यह निष्पन सम्मति प्रकट कर सकता है । इदना होने पर भी, अाजकल के ऐतिहासिकों की समानता करने की बात तो एक ओर रही, यह धीरोडोटस भी समानता नहीं कर सकना । संस्कृत के दुसरे इतिहासकारों की तो स्वयं कदहण के साथ जरा मी तुलना तक नहीं हो सकती !
(७०) भारत में इतिहास का प्रारम्भ (1) भारत के पुरातन इतिहास के स्रोत के रूप में पुराणों का जो मूल्य है उसका हलस पहले किया जा चुका है।
(२) पुराणों के बाद पश्चारकालीन वैदिक अंत्रों में पाई जाने वाली पुरुषों और शिष्यों की नामावली का क्लेख किया जा सकता है।
१ इसके कारणों के लिए गत खण्ड ३ देखिये। २ देखिये स्पड २, ५ भाग।