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महाभारत
वियों का वर्णन नहीं पाया जाता । उन लबका स्थान देवनयी-- ब्रह्मा, विष्णु और महेशवाणेश, कुबेर और दुर्गा ने ले लिया है। अवतारवाद प्रधान हो गया है। इन्द्र जैसे देवता खो-पुत्र वाले कुटुम्बी जन बन जाते हैं। वे स्वर्ग में रहते हैं, सुन्दर महलों के स्वामी हैं और मनुष्यों के समान व्यवहार करते हैं। देवताओं के मन्दिर बनवाये जाते है। धातु, मिट्टी और नमक की मूर्तियों की पूजा की जाती है । यह पौराणिकता दोनों महाकाव्यों में एक जैसी पाई जाती है।