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संस्कृत-माहित्य का इतिहास दिया देगी, तद उसके पति को उसकी याद आ जाएगी, अन्यथा उसका पति उसे भूला रहेगा। यही साली कथावस्तु का भी है।
बाराव अपने समाधि-जल से शकुन्तला के मान्य विवाह को जान जाते हैं। अनिला होने पर भी वे किसी को साथ देकर शकुना को उसके पति के घर भेजने का निश्चय करते हैं। तब विरक महर्षि को भी कन्या-वियोग को या बिसल कर डालती है । बहु महर्षि पिता, प्यारी सखियो, पहियों और उन पौधों को, जिन्हे असने अपने हाथ से सोच-सोचकर बड़ा किया था, छोड़त 3 शक्रन्तला का मी जी भर आता हौ । मारा करुणरस से पाला दिखाई देश है। यहां साक्षिदाल की दोखली की चमत्कृति देखने के योग्य है (४र्थक) । धर्मात्मा राजा मज-काज में संलग्न सभा में बैठा है, द्वारक दो तर. स्वियों और एक स्त्री के आने की सूचना देता है। दुनिया के शाप के जश राजा अपनी पत्नी को नहीं पहचानता और उसे अङ्गीकार करने से निषेध करता है। तपम्ही यरन करते हैं कि राजा होश में श्राए और अपना कम पश्चाने; किन्तु वह अपनी बाबरी प्रकट करता है अन्त में निश्चय करते है कि शकुन्तला की उसके पति के सामने छोडकर उन्हें वापिस हो जाना चाहिए । सो सहमा मानवीय रूप में एक বিমী সঞ্চয় কিন্তু মাত্র তা উক ফ্লাহ প্রয় देखने वालों को माश्चर्य में डाल जाती है (श्म )।
एक धीवर के पास राजा की अंगूठी पकड़ी जाती है जो मार्ग में एक तीर्थ में स्नान करते समय शवुन्तला की अंगुली से पानी में गिर गई थी। धीवर पर चोरी का अपराध लगाकर पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है। राजा अंगूठी को पहचान लेता है। शाप का प्रभाव समान हो चुकने के कारण अब राजा को शकुन्तला तथा उसके साथ हुई सब बातों का स्मरण हो पाता है । वह अपनी भीषण भूज पर खूब पताता और अपने परपत्य होने के कारण बड़ा दुखी होता है । थोड़ी देर बाद उसे विदूषक के रोने की आवाज़ पाता है । वह उसे