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रामायण
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आदर्श वीर सहाय माना गया है; परंतु पहले और सातवें कांड में
से निविष्य का अवतार दिखलाया गया है ।
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काण्ड में सारी रामायण कथा की दो अनुक्रमणिकाएँ दी गई हैं-- एक पहले लर्ग में और दूसरी तीसरे में। उनमें से एक अनुक्रमणिका में पहले और सातवें कायड का उल्लेख नहीं है ।
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इन आधारों पर प्रोसेसर जैकोबी ने ' निश्चय किया है कि दूसरे से लेकर छूटे काण्ड तक का भाग रामायण का असली भाग है, जिसके श्रागे पीछे पहले और सातवें काण्ड बाद में जोड़ दिए गए हैं। और असती भाग में भी कहीं कहीं मिलावट कर दी गई है। दूसरे काण्ड के कई प्रारम्भिक सf पहले काण्ड में मिला दिये गये हैं। असली रामायण वाज कर के प्रथम काण्ड के पाँचवें सर्ग से प्रारम्भ होती थी ।
(x) काल -- ( १ ) महाभारत के सम्बन्ध से - रामायण का (छ) असली भाग महाभारत के असली भाग से पुराना है। रामायण में महाभारत के किसी वोर का उल्लेख नहीं है। हाँ, महाभारत में राम की कहानी का किया है। इसके अतिरिक्त महाभारत के सातवें पर्व में रामायण के छुटे काण्ड से दो श्लोक उद्धव किए गए हैं और महाभारत के तीसरे पर्व के २७७ से २६१ तक के अध्यायों के रामोपाख्यान है, जो रामायण पर आश्रित प्रतीत होता है। सच तो यह है कि रामोपा
१. 'रामायण' में जैकोबी कहते हैं--जैसे हमारे अनेक पुराने, पूजनीय गिरजाघरो मे हर एक नई पीढ़ी ने कुछ न कुछ नया भाग बढ़ा दिया है और कुछ पुराने भाग की मरम्मत करवा दी है और फिर भी असली गिरजाघर की रचना को नष्ट नहीं होने दिया है। इसी पकार भाटो की नेक पीढ़ियों ने असली भाग को नष्ट न करते हुए रामायण कुछ बढ़ा दिया है, जिसका एक-एक rara तो अन्वेषक की से छिपा हुआ नहीं है ।'
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