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संस्कृत साहित्य का इतिहास
(१) बौधायन धर्मसूत्र ( लगभग ४०० ई० पू० ) में महाभारत का उल्लेख पाया जाता है ।
(४) बौधायन गृह्यसूत्र में महाभारत में से 'विष्णुसइखनाम' का उदय पाया जाता है ।
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(2) मेगस्थनीज ने अपने ग्रन्थ इंडीका ( भारत ) में faer कि कुछ कहानियाँ हैं, जो केवल महाभारत में पाई जाती है ।
असली महाभारत में ब्रह्मा को सब से बड़ा देव कहा गया है। पाली-साहित्य के आधार पर यह बात पाँचवीं शताब्दी से पूर्व की अवस्थाओं का परामर्श करती है ।
(३) ज्योतिष के आधार पर भी कुछ विद्वानों ने परिणाम निकाला है कि अब महाभारत १०० ई० पू० से पहले का है ।
इ--- ऐतिहासिक काव्य के आविर्भाव के सम्बन्ध में यह बात बहुत कुछ निश्चय के साथ कही जा सकती है कि यह काव्य वैदिक काल से सम्बन्ध रखता है । यजुर्वेद में इतिहासप्रसिद्ध कुरु र पन्चालों का वर्णन मिलता है और काटक संहिता में धृतराष्ट्र विचित्रवार्य का नाम भाया है ।
(ज) शैली--यदि रामायण मादिकाव्य है तो महाभारत श्रादि 'इतिहास, पुराय या श्राख्यान' हैं । यह मोटा पोar rate are में लिखा गया है । इसमें पुराने के कुछ उपजाति और वंशस्थ वृन्द भी हैं जो अधिक पुराने रूप के भग्नावशेष है । पुराने गद्य में कुछ कहानियाँ भी हैं। इसके अतिरिक्त प्रवेशक वाक्य भी हैं । जैसे, कृष्ण उवाच, भीष्म उवाच जो श्लोकों का भाग नहीं हैं। सारे ग्रन्थमें धर्म का जो स्थूल रूप अंकित है, उसका सार इस पद्य में भा गया मालूम होता है :--
१. कुत्ते के बराबर बड़ी बड़ी दीमके या चींटियाँ (ants) जमीन खोदती है और सुनहरी रेत निकल आती है, इत्यादि ।