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संस्कृत-साहित्य का इतिहास
गई है, श्रावस्ती के उस स्थान पर स्थापित की गई थी जहाँ बुद्ध के समय में कोसराज प्रसेनजित् राज्य करता था । असती रामायण ( काण्ड २ - ६ ) में श्रावस्ती का उल्लेख कहीं नहीं faar | ससे ज्ञात होता है कि असली रामाय उस समय रची गई जिस समय अयोध्या नगरी विद्यमान थी, इसका नाम साकेत नहीं पड़ा था और श्रावस्ती नगरी प्रसिद्ध नहीं हो पाई थी ।
श्रा---प्रथम काण्ड ( श्लोक ३५ ) में कहा गया है कि राम उस स्थान से होकर गये, जहाँ पाटलिपुत्र ( श्राजकल का पटना ) स्थित | जहाँ रामायण की प्रसिद्धि पहुच चुकी थी, उसमें पूर्वी भारत के कौशाम्बी, काम्यकुब्ज और काम्पिल्य जैसे कुछ महत्वशाली नगरों के नाम भी पाये जाते हैं। सारी रामायण में पाटलिपुत्र का नाम कहीं भी नहीं आता, यदि रामायण काल में यह नगर विद्यमान होता तो इसका उल्लेख अवश्य होता ।
६ -- बालकाक में मिथिला और विशाला को दो भिन्न राजाओं के श्रावीण जोड़िया नगरियाँ बताया गया है। हम जानते हैं कि बुद्ध के समय से पूर्व ही ये दोनों नगरियाँ वैशाली के एक प्रसिद्ध नगर के रूप में परिवर्तित हो चुकी थीं ।
ई-- इसके अतिरिक्त, हमें पता लगता है कि रामायण के काल में भारतवर्ष छोटे छोटे भागों में बँटा हुआ था, जिसमें छोटे छोटे राजा राज करते थे'। भारत की यह राजनीतिक दशा केवल बुद्ध के पूर्व तक ही रहीं ।
अन्त में हम कह सकते हैं कि असली रामायया ५०० ई० पूर्व से पहले बन चुकी होगी ।
[ यह युक्ति दी जाती हैं कि रामायण की भाषा, विशेष करके
१ इसके विरुद्ध, महाभारत में हमें जरासन्ध जैसे शक्तिशाली राजाओं का वर्णन मिलता है, जिनका शासन है, अधिक देश तक विस्तृत था ।