________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
56/पाण्डुलिपि-विज्ञान
इस प्रकार कागज-कपड़े पर लिखने की स्याही बनाने की भी कई विधियाँ हैं : पहली विधि :
जितना काजल उतना बोल, ते थी दूणा गूंद झकोल, जे रस भांगरानो पड़े, तो अक्षरे अक्षरे दीवा जले ।
दूसरी विधि:
मष्यर्धे क्षिप सद्गुन्दं गुन्दार्धे बोलमेव च, लाक्षाबीयारसेनोच्चै मर्दयेत् ताम्रभाजने ।
तीसरी विधि :
बीग्रा बोल अनइल करवा रस, कज्जल वज्जल (?) नइ अंबारस । 'भोजराज' मिमी नियाद्, पान प्रो फाटई मिसी नवि जाई ।
चौथी विधि:
लाख टांक बीस मेल, स्वांग टांक पांच मेल नीर टांक दो सौ लेई, हांडी में चढ़ाइये, ज्यौं लों आग दीजे त्यों लौ ओर खारे सब लीजे । लोदर खार बालबाल पीस के रखाइये मीठा तेल दीय जल, काजल सो ले उतार नीकी विधि पिछानी के ऐसे ही बनाइये चाइक चतुर नर लिखके अनूप ग्रन्थ बांच बांच बांच रीझरीझ मौज पाइये। मसी विधि ।
पाँचवी विधि:
स्याही पक्की करण विधि :-लाख चोखी अथवा चीपडी लीजे पईसा 6, सेर तीन पानी में डालें, सुवागो (सुहागा) पैसा 2 डालें, लोध 3 पैसा भर डालें। पानी तीन पाव रह जाये तो उतार लें। बाद में काजल । पैसा भर डालकर घोंट-घोंट कर सुखा लें। अावश्यकतानुसार इसमें से लेकर शीतल जल में भिगो दें तो पक्की स्याही तैयार हो जाती है।
छठी विधि:
काजल छह टंक, बीजाबोल टंक 12, बेर का गोंद 36 टक, अफीम टंक 1/2, अलता पोथी टंक 3, फिटकरी कच्ची टंक 1/2, नीम के घोंटे से ताम्बे के पात्र में सात दिन तक घोटे ।
स्याही के ये नुस्खे मुनि श्री पुण्यविजयजी ने यहाँ-वहाँ से लेकर दिये हैं। उनका अभिमत है कि पहली विधि से बनी स्याही श्रेष्ठ है। अन्य स्याही पक्की तो है, पर क गज
For Private and Personal Use Only