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शब्द और अर्थ की समस्या/319
भ्रामक प्रक्षर रूप
य> थाथ-य माय माथ भ- ऊजझगी अगी
- बा(% छ) ड-कान-ड(73) डावड़ा कावड़ा घबब-घ)
लाष> लाब राए -रा(रा-ए) यह 'उ' की मात्रा भी हो सकती
... है। बंगाली लिपी का प्रभाव है । क्र-त्रु(क-क्र,' 'उ'
हेयो हेरची दा- थाटा-टा) चटोचयो सांख्या- साया
- सायम पघर पस
(इ) विभक्त अक्षर = विकृत शब्द, यथा-ऊर्ध्व' को विभक्त करके 'कर' लिखना इसी कोटि में आयेगा । 'ऊरध' 'तद्भव' माना जायेगा और पांडुलिपि की दृष्टि से यहाँ विभक्त-अक्षर है । 'ऊर्ध्व' का 'ऊर्व' फिर 'ऊरध' । इसमें 'र' को 'ध' से विभक्त करके लिखा गया है । 'प्रात्म' को 'चन्द-चरित्र' में 'पातम' लिखा गया है । 'परिसह थी प्रातम गुण पुष्टी युगतिनी प्राप्ति विचार है'
__ (पन्ना 82 चन्दचरित्र का हस्तलेख) ऐसे ही अध्यात्म को 'अध्यातम' लिखा गया है ।
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