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परिशिष्ट-एक/373
1 2 7. मध्य एशियाई संग्रहालय 1929 ई० प्रारचेस्टीन द्वारा लायी गयी तुनहाङ
की 'सहस्र बुद्ध गुफा' से प्राप्त अगणित
पांडुलिपियाँ, रेशमी पड़ सुरक्षित । 8. पाशुतोष संग्रहालय, कलकत्ता 1937 ई० कागज पर लिखी प्राचीन पांडुलिपियाँ
नेपाल से प्राप्त, 1105 ई० की यहाँ
1937 ई० मचित्र तथा अन्य दुर्लभ पांडुलिपियाँ ।
9. गंगा स्वर्ण जयन्ती
संग्रहालय, बीकानेर 10. अलवर संग्रहालय
11. कोटा संग्रहालय
1940 ई० इसके पांडुलिपि विभाग में 7000
पोथियाँ सुरक्षित हैं जो संस्कृत, फारसी, हिन्दी आदि की हैं । हाथी दाँत पर लिखित पुस्तक 'हफ्त वद काशी' भी इसमें है। यह अस्थि या दाँत के लिप्यासन वाली पाण्डुलिपियों का उदाहरण है। अनेक महत्त्वपूर्ण पोथियाँ हैं, कुडली प्रकार की भी हैं, और एक इञ्च परिमारण की मुष्टा भी है। विभिन्न युगों और शैलियों को मूल्यवान सचित्र पाण्डुलिपियाँ हैं । सचित्र पोथियाँ। मुल्ला दाऊद का 'लोरचन्दा' की पाण्डुलिपि का कुछ अंश यहाँ उपलब्ध
12. प्रयाग संग्रहालय
13. राष्ट्रीय संग्रहालय 14. शिमला संग्रहालय
15. सालार जंग संग्रहालय, हदराबाद
अट्ठारहवें कक्ष में दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ
16. कुतुबखाना-ए-सैयदिया, टौंक
इस परिशिष्ट में कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तकालयों या ग्रन्थागारों का उल्लेख दिया गया है। इनमें से बहुतों का ऐतिहासिक महत्त्व रहा है। वे ग्रन्थागार, वे विश्वविद्यालय, वे विहार और संघाराम अाज अतीत के गर्भ में खो चुके हैं। इनसे हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि संसार में किस समय ग्रन्थागारों का कितना महत्त्व था। इस सूची में कितने ही स्थानों पर, ग्रन्थागार होने की सम्भावना अनुमान के आधार पर मानी गई है । जहाँ विशाल विश्वविद्यालय होंगे, जहाँ संघाराम एवं विहार होंगे, जहाँ अनुवाद करने कराने के केन्द्र होंगे, जहां परिषदें हुई होंगी, वहाँ पर यह अनुमान किया जा सकता है कि ग्रन्थागार होंगे ही।
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