________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विश्वविद्यालयों द्वारा की जाने वाली शोध और अनुसंधान में जिन विषयों में पांडुलिपि का उपयोग करना पड़ता है, उनके लिए तो यह अनिवार्य ग्रन्थ है ही, स्वतन्त्र रूप से पांडुलिपियों की खोज और अध्ययन करने वालों के लिए भी यह अत्यधिक उपादेय सिद्ध होगा। इसमें पांडुलिपि विषयक विविध पहलुओं पर वैज्ञानिक दृष्टि से प्रामाणिक सामग्री संजोयी गयी है। ऐसे ग्रन्थ का अभाव बहुत समय से अनुभव किया जा रहा था, जिसकी पूर्ति अब हो रही है। एम. फिल्. के छात्रों के लिए भी यह उपयोगी सिद्ध होगा। इस ग्रन्थ में पहली बार पांडुलिपि विषयक वैज्ञानिक पद्धति का निरूपण हुआ है। (स्व०) डॉ. सत्येन्द्र, जन्म 1907 / एम. ए. 1933, पीएच. डी. 1947 डि. लिट. 19571 लेखक कलकत्ता और राजस्थान विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभागाध्यक्ष पद पर कार्य कर चुके हैं। हिन्दी जगत् के प्रख्यात् एवं मूर्धन्य आलोचक, सम्पादक, शोधक और विद्वान् रहे हैं / अनेकानेक शीर्ष कोटि के ग्रन्थों के प्रणेता होने के साथसाथ लोक साहित्य, पांडुलिपि-विज्ञान, हिन्दी साहित्य का इतिहास आदि क्षेत्रों में मौलिक शोधों के प्रवर्तक भी रहे हैं। मूल्य : 55.00 रुपये For Private and Personal Use Only