Book Title: Pandulipi Vigyan
Author(s): Satyendra
Publisher: Rajasthan Hindi Granth Academy

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Page 402
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 368/पाण्डुलिपि-विज्ञान 1 2 3 .. . A वही। 37. . खुत्तन . - काशगर वही। दंदा उइलिक यहाँ ग्रन्थ भण्डार होना चाहिए, क्योंकि यहाँ से ही एक असली ब्राह्मी ग्रन्थ नकली ग्रन्थ तैयार करने वाले इस नाम अखुन के पास मिला था । यहाँ के खंड ... हरों में दबे अन्य ग्रन्थ भी मिले थे । प्राच्य विद्या मन्दिर, बड़ौदा यहाँ अनेक पाण्डुलिपियों से वाल्मीकि रामायण का पाठ संशोधन हो रहा है। लाल भाई दलपत भाई इसमें अच्छे हस्तलेख उपलब्ध हैं। एक भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, 676 पृष्ठों की सचित्र तुलसी कृत अहमदाबाद रामचरितमानस है जिसमें एक पंक्ति नागरी में और एक पंक्ति फारसी लिपि में है, (सम्भव है यह कृति 18वीं शती की होगी।) 41. 11 मार्च, राष्ट्रीय अभिलेखागार, 1. स्थापना के समय इसका नाम था-- 1891 को नई दिल्ली 'इंपीरियल रेकार्ड डिपार्टमेंट' । स्थापित 2. नई दिल्ली के भवन में आने पर इसे 'राष्ट्रीय अभिलेखागार' का नाम दिया गया। इसमें महत्त्वपूर्ण अभिलेख तो सुरक्षित हैं ही, 1 लाख के लगभग ग्रंथ भी हैं। माइक्रोफिल्म के रूप में भी लाखों पृष्ठों की सामग्री संग्रहित है। 42. 1891 पटना : खुदाबख्श इसमें 12000 पाण्डुलिपियाँ हैं और ओरियंटल पुस्तकालय 50,000 मुद्रित पुस्तकें। यह पहले खुदाबख्श का निजी पुस्तकालय था । खुदाबख्श को अपने पिता मुहम्मदबख्श (1815-1876) में उत्तराधिकार में मिला था। खुदाबख्श ने उसमें बहुत वृद्धि की और 1891 में उसे सार्वजनिक पुस्तकालय का रूप दे दिया । इसमें कुरान का एक पन्ना 1300 वर्ष पुराना सुरक्षित है। हाफिज का दीवान अत्यन्त मूल्यवान माना जाता For Private and Personal Use Only

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