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366 पाण्डुलिपि-विज्ञान
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3 22. 8वीं शती ई. विक्रम शिला (बिहार) इस धर्मपाल ने स्थापित किया था, ऐसा
विश्वास है। इनके समय में इसके प्रमुख थे-श्रविद्ध ज्ञान पाद । इसके छह द्वार, जिन पर एक-एक विद्वान् पण्डित नियुक्त था । इस विश्वविद्यालय में वही व्यक्ति प्रवेश पा सकता था, जो शास्त्रार्थ में इन द्वार-पण्डितों को हरा देता था। 12वीं शती में इसे बख्त्यार
खिलजी ने नष्ट कर दिया था । 23. 10वीं शती से मरस्वती महल इसे महाराजा सरफोजी ने सन् 1798पूर्व तंजौर
1832 के बीच विशेष समृद्ध किया
था। 24. 1010 ई० धार, भोज भाण्डागार राजा भोज की नगरी थी। यहाँ भोज
द्वारा स्थापित विद्यालय एवं पुस्तकालय थे। सिद्धराज जयसिंह इसे अन्हिलवाड़ा
ले गये थे। 25. 11वीं शती से जैन भण्डार, श्री भण्डारकर ने बताया है कि यहाँ एक पूर्व जैसलमेर नहीं दस पुस्तक संग्रह हैं। (प्रकाशन
संदेश, पृष्ठ 7, अगस्त-अक्टूबर, 65)। 26. 1140 ई० भोज भण्डारगार सिद्धराज जयसिंह की मालव विजय पर
अन्हिलवाड़ा गया । उदयपुर
11 पुस्तकालय बीकानेर
19 पुस्तकालय हनुमानगढ़
1 पुस्तकालय श्री भण्डारकर ने ये नागौर
2 पुस्तकालय । पुस्तकालय देखे थे। प्रलवर
6 पुस्तकालय किशनगढ़
1 पुस्तकालय 27. 1242-1262 ई० चालुक्य-भाण्डागार, चालुक्य बीसलदेव या विश्वमल्ल का ।
अन्हिलवाड़ा 28. आदिम युग तक्षकोको (प्राचीन स्पेन के हरनंडी कार्टेज ने दिसम्बर, (1520 ई० से मैक्सिको) 1520 में तक्षकोको नगर पर विजय
प्राप्त की। इस अाक्रमण में यहाँ का उद्घाटन स्पेनवासी
एक विशाल पुस्तकालय जला दिया लोगों ने किया था)
गया। इसमें अनगिनत अमूल्य हस्तलिखित ग्रन्थ थे।
कुछ पूर्व इसका
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