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परिशिष्ट-एक/369
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है । इस पर हुमायू, जहाँगीर और शाहजहाँ के हस्ताक्षरों में कुछ टीपें हैं । 400 वर्ष पुरानी अरबी की पुस्तकों में कुछ वे पुस्तकें भी हैं जो सुन्दर हस्तलिपि में स्पेन की पुरानी राजधानी कोसेडोला में लिखी गयी थीं। हिन्दी की भी कुछ ऐसी पुस्तकें जो ज्ञात नहीं थीं, इस पुस्तकालय में मिली हैं।
अब तक इसके तीस सूची पत्र प्रकाशित हो चुके हैं । इन्हें वैपटिस्ट मिशन प्रेस, कलकत्ता ने छापा है । इनमें केवल पुस्तकालय की आधी पुस्तकों का ही विवरण है । इन सूचीपत्रों को आदर्श माना जाता है।
43. 1904 ई० भारती भाण्डारगार, या
के आसपास सरस्वती भाण्डारगार या (न्यूहलर के शास्त्र भाण्डार
अनुसार) 44.
उज्जैन: सिंधिया पुस्तकालय
इसमें 10000 के लगभग पुस्तकें हैं। इनमें ढाई हजार के लगभग दुर्लभ ग्रन्थ हैं । इसमें एक ग्रन्थ गुप्तकालीन लिपि में लिखा हुआ है । यह चालीस पृष्ठों का है । इस पुस्तकालय ने यह ग्रन्थ काश्मीर के गिलगिट क्षेत्र से बीस वर्ष पूर्व प्राप्त किया था । पाँच सौ वर्ष पूर्व के भोज पत्र पर लिखे ग्रन्थ भी इसमें हैं । इसी प्रकार ताड़ पत्र पर सुन्दर हस्तलिपि में लिखे 25 ग्रन्थ भी हैं। मुगलकालीन अदालत और काश्मीर के शासक के बीच हुए पत्राचार के मौलिक दस्तावेज यहाँ सुरक्षित हैं, ये फारसी में
45. 1912 भरतपुराः श्रीगोपालनारायण इसमें लगभग चार हजार पाण्डुलिपियाँ
सिंह ने इसे निजी पुस्तकालय हैं। इसमें सबसे पुरानी लिखी पुस्तके
के रूप में विकसित ताड़पत्र वाली हैं। उसके बाद क्रम में किया
भोजपत्र की पुस्तकें आती हैं, तब पुराने
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