________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रख-रखाव/351
. चिथड़े सूती वस्त्रों के या क्षोम (linen) का या दोनों से मिलकर, इसका बना हो, यह
सफेद या क्रीम के रंग का हो। इसकी तोल 9-10 कि०ग्रा० (आकार 51x71 से. मी० फ० 500 कागज) होनी चाहिये । इसका पी० एच० 5-5 से कम न हो। अन्य वैशिष्ट्यिों के लिए मूल पुस्तक देखें ।।।
2. ऊलि (टिशू) पत्र :-पांडुलिपियों की चिकित्सा के लिये निम्न विशेषताओं वाला पत्र होना चाहिये :
(1) इसमें एलफा सैल्यूलोज 88 प्रतिशत से कम न हो, (2) तौल और आकार 25-35 कि० ग्रा० (63.5X127 सें० मी० 500
पत्रों)। (3) राख 0.5 प्रतिशत से अधिक नहीं । (4) पी० एच० 5.5 से कम नहीं । इसमें तेल या मोम के तत्त्व न हों।
3. शिफन (Chiffon) नालिवसन :-जिसमें जालरंध्र की संख्या 33X32 प्रति वर्ग सें० मी० (83 x 82 प्रति इंच) हो । इसकी मोटाई 0.085 मि०मी० (औसतन) हो। पी० एच० 60-6.51
4. तेल कागज या मोमी कागज :-यह ऐसा हो कि पानी न छने और डैक्सट्राइन या लेई (Starch Paste) की चिपकन को न पकड़े। साथ ही, इसके तैल और मोम के अंश कागज पर धब्बे न डाले ।
इनकी तौल निम्न प्रकार की हो तो अच्छा है, तैल कागज : 22:7 कि० ग्रा० (61x46 सें० मी० 500 पत्र) मोमी कागज
5. मलमल :-यह चित्रों और चार्टों पर चढ़ाई जाती है। यह मध्यम आकार की फुलस्कैप के दुगने आकार से भी बड़ी हो । बढ़िया किस्म की औसत से 0.1 मि.मी. मोटाई की। इसके सूत में कोई गांठ नहीं होनी चाहिये ।
6. लंकलाट :-(Long cloth)
7. सैल्यूलोज एसीटेट फायल :-यह पर्ण पांडुलिपि का परतोपचार (लेमीनेशम) करने के काम आता है, यह पर्ण 107 सें. मी. (42 इंच) चौड़े बेलनों के रूप में मिलता है। परतोपचार के लिए यह पर्ण ·0223 मि. मी. मोटाई का अच्छी लोच वाला, अर्द्धआर्द्रता कवचित (Semi-moisture proof), इसमें नाइट्रेट अंश न हो। चिकित्सा : 1. चौरस करना
पांडुलिपि-पत्र के किनारे तुड़े-मुड़े हों तो उन्हें चौरस कर देना चाहिये । इसके लिए पहले भीगे ब्लॉटिंग कागज को पन्नों के किनारों पर कुछ देर रख कर उन्हें नम किया जाय . 1. Bhargava, K. D.-Repair and Preservation of Records.
For Private and Personal Use Only