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रख-रखाव/353
कागज को ऊपर फैला दें । साथ ही एक कपड़े से या रूई के swale से उसे पांडुलिपि पर दाब-दाब कर भली प्रकार जमा दें । तब पांडुलिपि को तैल-कागज पर से उठा लें और दाब में रख कर सूखने दें । इस समय पांडुलिपि की पीठ नीचे होगी। सूख जाने पर 23 मि. मी. पांडुलिपि मूल-पत्र के चारों ओर इस कागज की गोट छोड़कर शेष को कैची से कतर दीजिये । 2-3 मि. मी. चारों ओर इसलिये कागज छोड़ा जाता है कि पांडुलिपि के किनारे गुड़-मुड़ न हों। शिफन-चिकित्सा
शिफन या उच्च कोटि की पारदर्शी सिल्क का गाँज इन पांडुलिपियों पर लगाया जाता है जो बहुत जर्जर, स्याही से खाई हुई या कीड़ों ने खाली हो।
पांडुलिपि के पत्र को साफ कर लें । उस पर लगी चिप्पियों को हटा दें, और उसे मोमी या तैल कागज पर भली प्रकार बिछा दें । उस फिशन का टुकड़ा, जो पांडुलिपि से चारों ओर से कुछ बड़ा हो, फैला दें। अब ब्रश से लेई (स्टार्च पेस्ट) लगा दें-लेई लगाना बीचोंबीच केन्द्र से शुरू करें और चारों ओर फैलाते हुए पूरे शिफन पर लगा दें। इस पांडुलिपि को मोमी या तैल कागज सहित दूसरे मोमी या तेल कागज पर सावधानी से उलट दें जिससे सिलवटें न पड़ें । पहले वाला तैली कागज, जो अब ऊपर या गया है, उसे धीरे-धीरे पांडुलिपि से अलग कर लें, अब पांडुलिपि के इस ओर भी पहले की तरह शिफन का टुकड़ा बिछा कर बीच से लेई लगाना शुरू करें और पूरे शिफन पर लेई बिछा दें। अब उसे सूखने दें। आधा सूख जाने पर दूसरा तैली या मोमी कागज ऊपर से रख कर दाब-यन्त्र में या दो तख्ती के बीच रखकर ऊपर से दाब के लिए बोझ रख दें। पूरी तरह मुख जाने पर पांडुलिपि को सम्भाल कर निकाल लें और किनारों से बाहर निकले शिफन को कैंची से कतर दें।
यदि पांडुलिपि की स्याही पानी से घुलती हो या फैलती हो तो इस प्रक्रिया में कुछ अन्तर करना पड़ेगा । तैली या मोमी कागज पर पांडुलिपि से कुछ बड़ा शिफन का टुकड़ा बिछा दें और लेई (स्टार्च पेस्ट) बीच से प्रारम्भ कर चारों ओर बिछा दें। उस पर पांडुलिपि जमा दें। उसके ऊपर मोमी या तेली कागज फैला कर दाब दें। तब शिफन का दसरा टुकड़ा लेकर तली या मोमी कागज पर रख कर उपर्युक्त प्रकार से लेई लगा दें और उस पर पांडुलिपि उस पीठ की ओर से बिछा दें जिस पर शिफन नहीं लगा । उस पर मोमी या तैली कागज रख कर दाब में यथापूर्व सुखा लें। सूख जाने पर किनारों से बाहर निकले शिफन को कैंची से कतर दें । टिश्य-चिकित्सा
जिन पांडुलिपियों की स्याही फीकी नहीं पड़ी और जो अधिक जीर्ण नहीं हुए उनकी चिकित्सा टिश्यू-कागज से की जाती है । इसमें सरेसरहित इमिटेशन जापानी टिश्यू-कागज ही, जिसमें तेली या मोमी अंश न हों, काम में आता है । तैली या मोमी कागज पर पांडुलिपि साफ करके फैला दें । उस पर पतला लेप डेक्सट्राइन (Dextrine) का कर दें। पांडुलिपि से कुछ बड़ा उक्त प्रकार का टिश्यू कागज लेकर अब पांडुलिपि पर फैला दें और भीगे कपड़े या रूई के फाहे से इस कागज को पांडुलिपि पर दाब दें। इसी प्रकार पांडुलिपि की दूसरी ओर भी टिश्य कागज लगा दें।'
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