Book Title: Pandulipi Vigyan
Author(s): Satyendra
Publisher: Rajasthan Hindi Granth Academy

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Page 391
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रख-रखाव 357 जायगा, तब भी चलाते-चलाते और गैस प्रवाहित करें, अब यह स्वच्छ जल जैसा घोल हो जायगा। 30 लीटर के घोल को 30-48 मिनट तक गैसोपचार देना होता है । अपेक्षित घोल कैलशियम बाइकार्बोनेट का पाने के लिए। जब ये दोनों घोल तैयार हो जाय तो निम्न विधि से पाण्डुलिपियों का निर्मलीक रगा किया जाना चाहिये : विधि तीन इनामिल्ड तश्तरियाँ इतनी बड़ी कि उनमें अपने भण्डार से बड़ी पाण्डुलिपि समा सके, लें। एक तश्तरी में कैलशियम हाईड्रॉक्साइड का घोल (0.15 प्रतिशत का) दूसरी में ताजा स्वच्छ जल, तीसरी में कैलसियम बाइकाबोंनेट का घोल (0.15 प्रतिशत का) भर कर रखें। अब मोमी कागज (मोमी कागज की बजाय स्टेनलेस स्टील के तारों की वुनी पेटिका में रख कर भी डुबाया जा सकता है) पाण्डुलिपि के आकार से बड़ा लेकर उस पर पाण्डुलिपियों के इतने कागज रखें कि वे तश्तरियों के घोल में डूब सकें-- उन्हें मोगी कागज नीचे रख कर कैलशियम हाइड्रॉक्साइड के घोल में डुबा दें। 20 मिनट डूबे रहने दें, फिर निकाल कर पहले पाण्डुलिपियों में से घोल निचोड़ दें, तब दो मिनट के लिए इस पाण्डुलिपि को स्वच्छ जल में डुबो लें। अन्त में कैलशियम बाइकार्बोनेट के घोल में 20 मिनट तक रखें। उसमें से निकाल कर घोल निचोड़ देने के बाद फिर स्वच्छ जल में 2 मिनट के लगभग रखें । घोलों में और पानी में डुबोने पर तश्तरियों के घोलों और पानी को हलके-हलके तश्तरियों को एक अोर से कुछ उठा कर फिर दूसरी पोर मे कुछ उठा कर हिलाते रहना चाहिये। __यह उपचार हो जाने के बाद पानी निचोड़ दें और कागजों के ऊपर दोनों ओर सोख्ते रख कर दाब से पानी सुखा दें, फिर उन्हें रैकों पर सूखने के लिए रख दें यह ध्यान रखना होगा कि जब तक ये पूरी तरह न सख जाय तब तक इनको उलटा-पलटा न जाय । अमोनिया गैस से उपचार उक्त उपचार उन्हीं पाण्डुलिपियों का हो सकता है, जिनकी स्याही पक्की है, और जो पानी में न तो फैलती हैं, न घुलती हैं, अतः उपचार से पहले स्याही की परीक्षा करनी होगी। यदि स्याही पर पानी का प्रभाव पड़ता है, तो उसके कागज के निर्मलीकरण करने के लिए एक अन्य विकल्प से काम लेना होगा । यह विकल्प है अमोनिया गैस से उपचार । इसके लिए खानों वाली ऐसी अलमारी की आवश्यकता होती है जिसके खानों के तख्ते चलनी की भाँति छेदों से युक्त होते हैं । इन पर पाण्डुलिपियाँ खोल कर फैला दी जाती हैं। अब 1 : 10 अनुपात में पानी में अमोनिया का घोल बना कर एक तश्तरी में सबसे नीचे के खाने के तल में रख दें । इस प्रकार अमोनिया गैस कागजों का निर्मलीकरण कर देगी। चार-पाँच घण्टों के लिए अलमारी बिल्कुल बंद करके रखनी होगी। इसके बाद, इन पाण्डुलिपियों को 10-12 घण्टे स्वच्छ वायु में रखना होता है। ताड़पत्र एवं भोजपत्र का उपचार कीड़े-मकोड़ों से रक्षा के लिए तो पंडी और घोड़ा बेच कपड़े में बाँध कर बस्तों For Private and Personal Use Only

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