________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परिशिष्ट-एक, 363
12
3
पूर्व
प्राचार्य के पास 500 छात्र अध्ययन करते थे। इसमें विश्व ख्याति के कई प्राचार्य थे। "Takshila contained the celebrated University of Northern India (Rajovad-Jataka) up to the first century A. D. like Balabhi of Western, Nalanda of Eastern, Kanchipura of Southern and Dha akataka of
Central India." 3. 246 ई० पू० से पाटलिपुत्र/पटना 246 ई० पू० में तृतीय बौद्ध परिषद्
हुई थी। इसमें बौद्ध-सिद्धान्त ग्रन्थों पर चर्चा हुई थी । पाटलिपुत्र अजातशत्रु के दो मन्त्रियों ने बसाया था। मौर्यकाल
में यह विशिष्ट विद्या का केन्द्र था । 4. 140 ई० पू० काश्मीर पतंजलि काश्मीर में रहे थे।
काश्मीर सरस्वती मंदिर, यहाँ से पाठ व्याकरण ग्रंथ हेमचन्द्राचार्य
काश्मीर के लिए मंगाये गये थे। 6. 80 ई० पू० लंका बौद्ध ग्रन्थ लिपिबद्ध किये गये थे ।
लंका-हंगुरनकेत, बिहार इसके चैत्य में हजारों रुपये के बहुमूल्य (कडि जिले में) ग्रन्थ गढ़वा दिये गये थे। चाँदी के पत्रों
पर 'दिनय पिटक' के दो प्रकरण, अभिधम्म के सात प्रकरण तथा 'दीर्घनिकाय' गढ़वाये गये थे। चीन का यह पुस्तकालय भी प्राचीन होना चाहिए । तुनहाङ की शेष 8000 बलिताएँ इसी पुस्तकालय में भेज दी गयी थीं। (डॉ. लोकेशचन्द जी ने बताया है कि उनके पिताजी डॉ० रघुवीर इन 8000 वलिताओं की माइक्रोफिल्म करा लाये थे । ये उनके
संग्रह में हैं)। .9. 126 ई० .. उज्जैन उज्जैन बहुत पुराना नगर है । भारतीय
संस्कृति का यहाँ स्रोत था। सम्राट
पेइचिड
For Private and Personal Use Only