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352/पाण्डुलिपि-विज्ञान
फिर रखे ब्लॉटिंग कागज उस पर रखकर प्राइरन को कुछ गरम करके उसको स्तरित कर दिया जाय और हाथ के कागज की कतरन चिपका कर किनारे ठीक कर दिये जायें। यदि लिखावट दोनों ओर हो तो टिश्यू कागज का उपयोग किया जाय । यदि पत्र बीच में जहाँतहाँ कटा-फटा हो तो उन स्थानों पर पत्र की पीठ पर हाथ के कागज की चिप्पियाँ चिपका दें। यदि दोनों ओर लिखावट हो तो टिश्यू-कागज चिपका दें।
चिपकाने में गोंद और पेस्ट का उपयोग नहीं होना चाहिये, क्योंकि ये भीगने पर फूलते हैं और गरमी में सूखते हैं और सिकुड़ते हैं। इसके लिए मैदा की लेई जिसमें थोड़ा नीला थोथा हो तो अच्छा रहता है, किन्तु दो-तीन दिन बाद फिर नई लेई बनानी चाहिये । टिश्यू कागज का उपयोग किया जाय तो यह लेई नहीं, डेक्सट्राइन (dextrine) या स्टार्च की पतली लेई काम में लानी चाहिये । 2. अन्य चिकित्साएँ :
पूरा पूष्ठ पर्णन, टिश्यू चिकित्सा, शिफन् चिकित्सा तथा परतोपचार । तड़कने वाले (Brittle) कागजों का सैल्यूलाइज एसीटेट पर्ण से परतोपचार करना आधुनिक पद्धति है । इसके लिए समीचीन परतोपचारक प्रेस (दाब-यन्त्र) की आवश्यकता होती है, उसके अन्य उपकरण भी होते हैं । सब मिलाकर बहुत व्यय पड़ता है, एक लाख रुपया तो आसानी से लग सकता है, किन्तु इसके लिए विकल्प भी है, जहाँ इतना कीमती यन्त्रादि नहीं लिए जा सकते वहाँ विकल्प वाली पद्धति से परतोपचार (Lamination) किया जा सकता है । (क) पूर्ण पृष्ठ वर्णन
- पांडुलिपि का कागज तिरकना हो गया हो, उसका पूर्ण पृष्ठ वर्णन द्वारा चिकित्सा कर दी जाती है। पांडुलिपि एक अोर लिखी हो तो पीठ पर पूरे पृष्ठ पर वर्णन किया जाता है। हाँ, ऐसी पांडुलिपि के पन्ने की पीठ को पहले साफ कर लेना होगा। यदि पीठ पर पहले की चिप्पियाँ चिपकी हों तो उन्हें छुटा देना चाहिये । इसकी प्रयोग-विधि का वर्णन इस प्रकार है।
पांडुलिपि के पन्ने को मोमी कागजों या तैली कागजों के बीच में रख कर पानी में आधे से एक घंटे तक हुबा कर रखें, फिर निकाल लें। अब चिप्पियाँ आसानी से छुटाई जा सकती हैं। यदि पांडुलिपि की स्याही पानी में डालने से फैलती हो तो इसे पानी में न डुबाएँ, अन्य विधि का उपयोग करें : चिप्पियों के आकार की ब्लॉटिंग पेपर की चिप्पियाँ काट कर पानी में भिगो कर चिप्पियों के ऊपर रख दें। जब गोंद कुछ ढीला होने लगे तो
छुटा लें।
जब पांडुलिपि की पीठ साफ हो जाय तो पांडुलिपि के पन्ने के आकार से कुछ बड़ा हाथ का बना कागज (पूरा कागज चिथड़ों से बना) लिया जाय । यह कागज पानी में डुबा कर शीशे से युक्त मेज पर फैला दिया जाय, यदि मेज लकड़ी की हो और ऊपर शीशा न हो तो मोमी या तैली कागज उस पर फैला कर, इस कागज पर वह भीगा कागज फैलाया जाय और एक मुलायम कोमल कपड़े को फेर कर उसकी सिलवटें निकालकर उसकी कंडलित रूप में घड़ी कर लें, इस प्रकार वह बेलन के आकार का हो जायगा। तब पांडुलिपि के पन्ने को तैली कागज पर औंधा बिछा कर उस पर लेई (Starch Paste) ब्रश से कर दीजिए। कुंडलित हाथ बने कागज को एक छोर पर ठीक बिठा कर इस
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