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रख-रखाव/345
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जलवायु
वस्तु
प्रभाव
2. अधिक नमी (humidity)
कागज
सिकुड़ जाता है एवं सील जाता है। लोच पर प्रभाब है ।
3. तापमान में अत्यधिक
कागज वैविध्य [जाड़ों में 100 सें. (500 चमड़े एवं फा०) तथा गर्मी में 450 पुढे
(1130 फा०) तक 4. तापमान 320 सें० (90 फा०
एवं नमी 70 प्रतिशत
कीड़े-मकोड़ों, पुस्तक-कीट, सिल्वरफिश, कौत्रोच, दीमक और फफूद या चैपा उत्पन्न हो जाता है। बुरा प्रभाव । जल्दी नष्ट हो जाते
काग आदि
5. वातावरण में अम्ल-गैसों का
होना--विशेषतः सल्फर हाइड्रोजन से विकृत वाता
वरण। 6 धूल कण
7. सीधी धूप
कागज, चमड़ा, इनसे अम्ल-गैसों की घनता पुट्ठा आदि
आती है और फफू दाणु पनपते हैं । कागज आदि कागज आदि पर पड़ने वाली
सीधी धूप को पुस्तकों का शत्रु बताया गया है।
इससे कागज आदि विवर्ण हो जाते हैं, नष्ट होने लगते हैं तथा स्याही का रंग भी उड़ने लगता है।
उपाय :
भंडारग-भवन को 220 और 250 सें० (720 - 780 फा०) के बीच तापमान और नमी (humidity) 450 और 55 प्रतिशत के बीच रखा जाय । साधन :
वातानुकूलन-यन्त्र द्वारा वातानुकूलित भवन में उक्त स्थिति रह सकती है।
बहुत व्यय-साध्य होने से यदि यह सम्भव न हो तो अत्यधिक नमी को नियन्त्रित करने के लिए जल-निष्कासक रासायनिकों का उपयोग कर सकते हैं । ये हैं : ऐल हाइड्स कैलसियम क्लोराइड और सिलिका गैल (Silica gel)।
20-25 धन मीटर क्षमता के कक्ष के लिए 2-3 किलोग्राम सिलिका गेल पर्याप्त . है । इसे कई तश्तरियों में भर कर कमरे में कई स्थानों पर रख देना चाहिए। 3-4 घंटे
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