________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
324/पाण्डुलिपि-विज्ञान (अं) संकेताक्षरी शब्द
संकेताक्षरी शब्दों की चर्चा ऊपर हो चुकी है । पूरे शब्दों को जब उसके एक छोटे अंश के द्वारा ही अभिहित कराया जाता है तो यह निरर्थक-सा छोटा अक्षर-संकेत पूरे शब्द के रूप में ही ग्राह्य होता है । 'स' का प्रयोग 'सम्बत्सर' के लिए हुआ मिलता है। ऐसे ही प्रयुक्त संकेतों की सूची एक पूर्व के अध्ययन में दी जा चुकी है । पांडुलिपि-विज्ञानार्थी अपने लिए ऐसी सूचियाँ स्वयं प्रस्तुत कर सकता है। नाम-संकेत की दृष्टि से 'अहहमाणा' हम देख चुके हैं कि इसमें 'अब्दुल' का संकेत 'अद्द' और 'रहमाण' का संकेत 'हमान' है । ऐसे शब्द जिनमें संख्या से उस संख्या की वस्तुओं का ज्ञान होता है, संकेताक्षरी ही माने जायेंगे । कीर्तिलता में आया 'दान पंचम' भी ऐसा ही शब्द है । (अः) विशिष्टार्थी शब्द
पांडुलिपि-विज्ञानार्थी के लिए विशिष्टार्थी शब्दों का भेद महत्त्वपूर्ण है। यह रूप-गत नहीं है । कुछ शब्दों के कुछ विशिष्ट अर्थ होते हैं, और जब तक उन विशिष्ट अर्थों तक पांडुलिपि-विज्ञानार्थी नहीं पहुँचेगा उस स्थल का ठीक अर्थ नहीं हो सकेगा। ऐसे शब्दों के विशिष्ट क्षेत्रों का पता न होने के कारण सामान्य अर्थ किये जाते हैं, जिससे अर्थाभास मिलता है; यथार्थ अर्थ नहीं । ऐसे शब्दों से सामान्य अर्थ तक पहुंचने में भी शब्दों और वाक्यों के साथ खींचातानी करनी पड़ती है ।
यथा
"कहीं कोटि गंदा, कहीं वादि वंदा
कहीं दूर रिक्काविए हिन्दु गन्दा ।।"1 अब इसका एक अर्थ हुआ—'करोड़ों गुण्डे', कहीं 'बांदी बंदे' आदि । दूसरा अर्थ हुअा 'बहुत से गंदे लोग और बांदि बंदे' आदि । डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल ने बताया है कि 'गंदा' और 'वादि' विशिष्टार्थी शब्द हैं : गन्दा फा० गोयन्द : अर्थात्-गुप्तचर, वादी भी विशिष्टार्थक है : वादी = फरियादी
__ इसी प्रकार कीर्तिलता 2 190 का चरण है।
मषदूम नरावइ दोम जञो हाथ ददस दस गारो ।। इसमें प्रायः सभी शब्द विशिष्टार्थ देने वाले हैं : उन अर्थों से अपरिचित व्यक्ति इस पंक्ति का अर्थ खींचतान कर ऐसे करेंगे :
"मखदूम डोम की तरह दसों दिशाओं से भोजन ले पाता है" (?) या "मखदूम (मालिक) दशो तरफ डोम की तरह हाथ फैलाता है।"
डॉ० वासूदेवशरण अग्रवाल ने लिखा है कि "इस एक पंक्ति में सात शब्द पारिभाषिक प्राकृत और फारसी के हैं ।'' ये शब्द विशिष्ट या पारिभाषिक शब्द हैं यह न जानने से ठीक-ठीक अर्थ तक नहीं पहुँचा जा सकता । इनके विशिष्ट अर्थ ये बताये गये हैं :
1. अग्रवाल, वासुदेवशरण, (डॉ.)-कीर्तिलता, पृ० 93 2. वही, पृ० 108
For Private and Personal Use Only